देहरादून। हांगकांग में रह रहे दून के एनआरआइ अंशुल जैरथ और दून निवासी उसके भाई मयूर जैरथ की धोखाधड़ी के शिकार व्यक्तियों की फेहरिस्त बढ़ती जा रही है। अब अंशुल और मयूर पर सिंचाई विभाग से सेवानिवृत्त कर्मचारी ने जमीन दिलाने के नाम पर 30 लाख रुपये की ठगी करने का आरोप लगाया है। इस मामले में नेहरू कालोनी थाना में मुकदमा दर्ज किया गया है।
इससे पहले भी दोनों पर जालसाजी के दो मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैैं। हालांकि, तीन मुकदमे दर्ज होने के बाद भी पुलिस किसी आरोपित को गिरफ्तार नहीं कर पाई है। पुलिस के अनुसार, शिकायतकर्ता राजेश चौहान आमवाला नालापानी में रहते हैैं। उन्होंने शिकायत में बताया कि वर्ष 2019 में उन्हें दून में निजी इस्तेमाल के लिए जमीन की जरूरत थी। हांगकांग में रह रहा अंशुल जैरथ उनका परिचित है। ऐसे में उन्होंने जमीन के लिए अंशुल से संपर्क किया। अंशुल ने बताया कि नवादा में उसकी जमीन है, जिसे वह बेचना चाहता है। जमीन देखने के लिए अंशुल ने अपने भाई मयूर जैरथ निवासी खुड़बुड़ा का मोबाइल नंबर देकर उससे मुलाकात करने को कहा। राजेश को जमीन पसंद आ गई। उसका सौदा 90 लाख रुपये में तय हुआ।
राजस्व अभिलेखों में जमीन अंशुल और उसकी पत्नी शमा के नाम पर थी। शमा भी हांगकांग में रहती है। ऐसे में अंशुल के भाई ने 14 मार्च 2019 को जमीन का अनुबंध तैयार कराया और अग्रिम धनराशि के तौर पर 30 लाख रुपये ले लिए। 31 अगस्त 2019 को दोनों पक्षों के बीच तय हुआ कि 31 दिसंबर तक जमीन की रजिस्ट्री कर दी जाएगी। दिसंबर से पहले ही देश में कोरोना ने दस्तक दे दी। तब से अंशुल कोरोना का बहाना बनाकर रजिस्ट्री में टालमटोल करता आ रहा है।
इस बीच आठ सितंबर 2021 को राजेश जमीन देखने गए तो पता चला कि आरोपितों ने उसे किसी और को बेच दिया है। उन्होंने अंशुल से संपर्क किया तो वह बदसलूकी करने लगा। मयूर से बात की तो उसने रुपये लौटाने से इन्कार करने के साथ ही धमकाया। नेहरू कालोनी थाना के इंस्पेक्टर सतबीर बिष्ट ने बताया कि अंशुल और मयूर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया।