देहरादून। इंश्योरेंस पालिसी की रकम शेयर बाजार में लगाकर मुनाफा कमाने का झांसा देकर 68 लाख ठगने वाले गिरोह में बैंक अधिकारी भी शामिल है। आरोपित बैंक अधिकारी को उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने बाराखंबा रोड दिल्ली से गिरफ्तार किया है। पुलिस की जांच में पता चला कि आरोपितों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर बैंकों में खाते खोले हैं, जिसमें वह ठगी की रकम जमा करते हैं। गिरोह के एक अन्य सदस्य को एसटीएफ ने 14 अगस्त 2021 को शाहदरा दिल्ली से गिरफ्तार किया था।
एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि रायपुर निवासी ललिता ने एक जुलाई 2021 को रायपुर थाने में तहरीर दी थी कि उनके भाई ने बीमा पालिसी ली हुई थी। 2014 में उनके भाई को एक व्यक्ति ने फोन किया। आरोपित ने खुद को इंश्योरेंस कंपनी का एजेंट बताया और कहा कि प्रीमियम जमा न होने के कारण उनकी बीमा पालिसी बंद हो गई है। उसने प्रीमियम जमा करवाकर पालिसी की धनराशि को शेयर मार्केट में लगाकर अधिक मुनाफे का लालच दिया। ललिता ने बताया कि इसके बाद आरोपित ने उनके भाई से 10 अक्टूबर 2014 से 12 अप्रैल 2021 तक 68 लाख रुपये अपने विभिन्न बैंक खातों में जमा करवा लिए, लेकिन बाद में मुनाफे का पैसा भी नहीं दिया और अपना फोन बंद कर दिया। पुलिस ने आरोपितों के मोबाइल नंबर, ई-वालेट व बैंक खातों के बारे में जानकारी हासिल की तो पता चला कि आरोपित ने ठगी की धनराशि दिल्ली व गाजियाबाद के विभिन्न बैंक खातों में जमा कराई है। यहां आरोपितों ने फर्जी नाम-पते, आधार कार्ड व वोटर कार्ड बनाकर विभिन्न बैंकों में खाते खोले हैं। बैंक व टेलीकाम कंपनियों से साक्ष्य जुटाने के बाद पुलिस टीम दिल्ली व उत्तर प्रदेश गई। जहां बैंकों में जमा दस्तावेजों की जांच करने के बाद पुलिस ने 14 अगस्त को देवेश नंदी निवासी मंडोली, शाहदरा दिल्ली को शाहदरा नोएडा से गिरफ्तार किया। पूछताछ में आरोपित ने अपने अन्य साथियों के बारे में बताया। जांच के बाद पुलिस टीम ने शुक्रवार को बाराखंबा रोड आइडीएफसी बैंक ब्रांच के अधिकारी आदित्य त्यागी निवासी गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) को गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में आरोपित आदित्य त्यागी ने बताया कि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर बीमा पालिसी के नवीनीकरण व प्रीमियम को शेयर मार्केट में लगाने का झांसा देकर धनराशि हड़पी थी। वह विभिन्न बैंक में फर्जी आधार कार्ड व वोटर कार्ड के आधार पर फर्जी कंपनियों के नाम पर खाते खोलते हैं और फिर उनमें धोखाधड़ी से प्राप्त धनराशि जमा करते हैं। आरोपित देवेश नंदी ने बताया कि बैंक खातों की जानकारी उन्होंने जस्ट डायल प्लेटफार्म से ली थी। ऐसे में जस्ट डायल के नोडल अधिकारी से भी जवाब-तलब किया गया है।