नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राघवेंद्र सिंह चौहान व न्यायमूर्ति आलोक वर्मा की खंडपीठ में कठघरिया निवासी शिवशंकर सुयाल व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कठघरिया हल्द्वानी में बाबा हैड़ाखान आश्रम व केदारनाथ मंदिर के नाम करीब डेढ़ सौ साल पूर्व दी गई ‘गवर्मेंट ग्रांट भूमि’ को कुछ व्यक्तियों द्वारा खुर्द-बुर्द करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नैनीताल के डीएम व जिला विकास प्राधिकरण को मौका मुआयना करने के निर्देश दिए हैं। कहा है कि यदि आश्रम को दी गई भूमि में अवैध निर्माण हो रहा है तो उसे सीलकर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। इस मामले में पुरातत्व विभाग व सर्वे ऑफ इंडिया को भी नोटिस जारी किया गया है।
याचिका में कहा गया है कि कठघरिया में बाबा हैड़ाखान आश्रम व केदारनाथ मंदिर के लिए सरकार ने 1872 में गवर्मेंट ग्रांट लैंड आवंटित की थी। तब से यह भूमि बाबा विराजमान के नाम दर्ज है, जिसमें आश्रम के अलावा खेती के लिए भी भूमि है। लेकिन मंदिर कमेटी बनाकर बिना शासन की संस्तुति के आश्रम के आसपास दिनेश सुयाल के नाम दुकानों का नक्शा पास कराकर दुकानें बनाई जा रही हैं। ग्रामीणों ने इस विरासत महत्व की संपत्ति के खुर्द-बुर्द होने की शिकायत सक्षम अधीकारियों के समक्ष भी की थी, लेकिन आरोपित लोगों के राजनीतिक प्रभाव के कारण मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई। मामले को गंभीरता से लेते हुए कोर्ट ने जिलाधिकारी को मौका मुवायना कर रिपोर्ट देने को कहा है।