हाईकोर्ट ने शेरवुड कालेज के प्रबधन से यथास्थिति बनाए रखने को कहा

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हाईकोर्ट ने शेरवुड कालेज के प्रबधन से यथास्थिति बनाए रखने को कह

जनपक्ष आजकल, नैनीताल। हाई कोर्ट ने शहर के प्रतिष्ठित शेरवुड कालेज के प्रबंधन व स्वामित्व विवाद में सभी पक्षकारों से निचली अदालत का फैसला आने तक यथास्थिति बनाने के आदेश दिए हैं। न्यायाधीश न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने पूर्व में ही मामले में सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने कालेज में बच्चों की पढ़ाई में किसी तरह का व्यवधान न होने देने को कहा है।
शेरवुड डायसेसन कालेज सोसायटी के चेयरमैन, डायसेस आफ आगरा के बिशप और चर्च आफ नार्थ इंडिया के चेयरमैन डा. पीपी हाबिल व चर्च आफ नार्थ इंडिया के पावर आफ अटार्नी धारक आशीष पाल हाबिल ने हाई कोर्ट के 25 मई 2018 के आदेश को संशोधित करने का आवेदन किया था। उनका कहना था कि इस मामले में नैनीताल की निचली अदालत में सिविल मामले चल रहे हैं और कालेज प्रबंधन का विवाद अभी भी विचाराधीन है। जिसमें शेरवुड डायसिस सोसायटी कालेज नाम से डिप्टी रजिस्ट्रार चिट फंड कार्यालय में पंजीयन विवाद भी शामिल है। इस याचिका में डिप्टी रजिस्ट्रार चिट फंड हल्द्वानी के अलावा शेरवुड के प्रधानाचार्य अमनदीप संधू को प्रतिवादी बनाया गया है। अन्य प्रतिवादियों में शेरवुड कालेज सोसायटी नैनीताल केसचिव अमनदीप संधू हैं व डायसिस आफ लखनऊ, चर्च आफ इंडिया, पाकिस्तान एवं वर्मा, सीलोन के चेयरमैन के अलावा लखनऊ के विजय मोंटेंडे शामिल हैं। इन सभी पक्षकारों का शेरवुड कालेज पर दावा है और यह विवाद निचली अदालत में लंबित है।
इससे पूर्व सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड हाई कोर्ट के उस आदेश को रद कर दिया था। जिसमें आगरा डायसिस द्वारा शेरवुड कालेज का अंतरिम प्रिंसिपल पीटर इमैनुअल को बनाने के बाद उन्हें पुलिस सुरक्षा देने के आदेश दिए थे। लेकिन इस याचिका में अमनदीप संधू को पक्षकार नहीं बनाया था, जिस कारण सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने का आदेश हाई कोर्ट को दिया था।

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