*कुमाऊं विश्वविद्यालय का नाम पंडित तिवारी के नाम पर रखने का प्रस्ताव अधर में,पूर्व मुख्यमंत्री की उपेक्षा कर रही है भाजपा सरकार: उपाध्याय*

ख़बर शेयर करें -

हल्द्वानी। कुमाऊं विश्वविद्यालय का नाम पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के नाम पर रखे जाने के लिए उच्च शिक्षा विभाग उत्तराखंड ने विश्वविद्यालय प्रशासन से इसके लिए प्रस्ताव मांगा था। आज तक जनता की इस मांग को अमली ज़ामा नही पहनाया जा सका है। इस मामले में स्व०पंडित नारायण दत्त तिवारी के उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान उनके सलाहकार डॉ ० गणेश उपाध्याय ने भाजपा सरकार की घेरबंदी शुरु कर दी है। उन्होंने कहा कि पहाड़ के विद्यार्थियों की परेशानी और अलग विवि बनाने की मांग के बीच 1973 में कुमाऊं एवं गढ़वाल विवि की सौगात मिली। इसका श्रेय उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा और तत्कालीन वित्त मंत्री नारायण दत्त तिवारी को दिया जाता है। पूर्व सीएम हेमवती नंदन बहुगुणा निधन के बाद गढ़वाल विवि का नाम उनके नाम पर रखा गया, तो पूर्व सीएम नारायण दत्त तिवारी के निधन के बाद कुमाऊं विवि का नाम पंडित नारायण दत्त तिवारी विश्वविद्यालय करने के मामले को भाजपा सरकार ने 2 साल से लटका रखा है। यह भाजपा सरकार की उत्तराखंड की विकास विरोधी सोंच तथा महानायक व विकास पुरुष स्व० पं० नारायण दत्त तिवारी की उपेक्षा को स्पष्ट उजागर करता है। एक तरफ भाजपा सरकार जगह जगह संघीय मानसिकता के लोगों की तमाम विशालकाय मूर्तियां बनाकर लगा रही है, वहीं वास्तविक विकास पुरुष स्व० पंडित तिवारी जी की यह उपेक्षा करते हुए इस कार्य को लम्बित करना बेहद पीड़ादायक तथा भाजपाइयों की घटिया सोंच का परिचय देता है। उन्होने कहा कि स्व० तिवारी जी ने परिवारवाद की राजनीति को कभी भी बढ़ावा नहीं दिया। वह हर वर्ग के सर्वमान्य नेता थे। स्व0 नारायण दत्त तिवारी ने केन्द्रीय मंत्रिमण्डल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व उत्तराखण्ड राज्य के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश व देशवासियों को जो सेवायें दी हैं उसके लिए उनको सही अर्थों में श्रृद्धांजलि देने के लिए कुमाऊं विश्वविद्यालय का नाम उनके नाम पर किया जाना चाहिए।

Ad