हल्द्वानी। ऐक्टू का तीसरा राज्य सम्मेलन हल्द्वानी में संपन्न हुआ। ‘ऐक्टू’ के राष्ट्रीय महासचिव राजीव डिमरी की उपस्थिति और ‘ऐक्टू’ की राष्ट्रीय कमेटी की ओर से पर्यवेक्षक अभिषेक की निगरानी में उत्तराखंड राज्य सम्मेलन का प्रतिनिधि सत्र और नई कमेटी का चुनाव संपन्न हुआ।
ऐक्टू’ के राष्ट्रीय महासचिव राजीव डिमरी ने प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि,”जिस तरह से मोदी सरकार श्रम कानूनों को खत्म कर मजदूरों को बदहाली की ओर धकेल रही है, सरकारी संस्थानों का निजीकरण बढ़ता जा रहा है, रोजगार चौपट हो रहा है ऐसे मेें मजदूरों का मजबूत संगठन और देशव्यापी संयुक्त मजदूर आंदोलन वक़्त की मांग है. इसलिये अपनी यूनियन को मजबूत करना और केंद्र और राज्य सरकारों की मजदूर विरोधी जनविरोधी नीतियों की जोरदार मुखालफत करना आवश्यक कार्यभार बन गया है. ऐक्टू जैसे क्रांतिकारी ट्रेड यूनियन संगठन को मजबूत बनाने से ही मजदूर आंदोलन को मजबूती और गति मिलेगी.”
राज्य सम्मेलन में 31 सदस्यीय राज्य काउंसिल का चुनाव किया गया जिसने 11 सदस्यीय राज्य राज्य कार्यकारिणी व पदाधिकारियों का चुनाव किया गया. कार्यकारिणी ने निशान सिंह को प्रदेश अध्यक्ष, के के बोरा को प्रदेश महामंत्री, जोगेंद्र लाल, दिनेश तिवारी,कैलाश पांडेय को उपाध्यक्ष, ललित मटियाली को कोषाध्यक्ष, सरस्वती पुनेठा व विनोद कुमार को उपसचिव चुना गया।
नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह ने कहा कि,”उत्तराखंड राज्य में जिस तरह से सरकारी टैक्स माफी को डकार कर कंपनियां बंदी कर भाग रही हैं उसने हजारों युवाओं के भविष्य को अंधकार में धकेल दिया है. इसके खिलाफ ऐक्टू को मजदूरों के हितों की सुरक्षा के लिए व्यापक आंदोलन की रणनीति पर विचार कर संयुक्त ट्रेड यूनियन आंदोलन विकसित कर राज्य सरकार को हस्तक्षेप के लिए बाध्य करना होगा.”
नवनिर्वाचित प्रदेश महामंत्री के के बोरा ने कहा कि, “मजदूरों का दमन, वादाखिलाफी, पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना और इस सब से ध्यान बंटाने के लिए हिन्दू मुस्लिम कार्ड खेलना भाजपा सरकारों की खुली नीति बन चुकी है. इसको चुनौती देकर ध्वस्त किए बिना मजदूरों को अपने अधिकार हासिल कर पाना संभव नहीं है.
सम्मेलन ने सर्वसम्मति से जायडस वेलनेस कंपनी की अवैध बंदी के खिलाफ व्यापक एकता के बल पर जीत हासिल करने और आशा वर्कर्स से मुख्यमंत्री की वादाखिलाफी के सवालों को मुख्य रूप से केन्द्रित करते हुए मजदूर आंदोलन तेज करने का फैसला लिया गया.
सम्मेलन में पी बी जी एल यूनियन, बजाज मोटर कामगार यूनियन, संसेरा श्रमिक संगठन, उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन, कर्मचारी संघ, जायडस वेलनेस यूनियन, बीएसएनएल ठेका श्रमिक यूनियन, एन एच पी सी ठेका श्रमिक यूनियन, आर एम एल मजदूर यूनियन, निर्माण मजदूर यूनियन, बड़वे इंजीनियरिंग वर्कर्स यूनियन, पंजाब बेवल ग्रियर्स लि. वर्कर्स यूनियन, पी डी पी एल यूनियन आदि यूनियनों शामिल रहे.
प्रतिनिधि सत्र में अपनी बात रखने वालों में जायडस वेलनेस यूनियन के अध्यक्ष विकास सती, सिडकुल संयुक्त संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष दिनेश तिवारी, सनसेरा श्रमिक यूनियन के अध्यक्ष दीपक कांडपाल, सचिव जोगेंद्र लाल, एनएचपीसी यूनियन के विनोद कुमार व उदय धामी, आशा यूनियन की सरस्वती पुनेठा, रीता कश्यप, सुधा शर्मा, माया नेगी, बबीता, पंजाब बेवल यूनियन के मोहन सिंह, निर्माण मजदूर यूनियन के प्रमोद कुमार, बीएसएनएल ठेका श्रमिक यूनियन के ललतेश प्रसाद, चन्दन सिंह महरा, डॉ कैलाश पांडेय, दीवान सिंह, किशन बघरी, पंकज दुर्गापाल, नवीन कांडपाल, ललित मटियाली,चन्दन मेवाड़ी, बची सिंह बिष्ट,वीरभद्र सिंह भंडारी, सुनील ठाकुर, राजेन्द्र सिंह बिष्ट, कांता प्रसाद, हरीश सिंह, माया देवी आदि मुख्य रूप से शामिल रहे।