उत्तराखंड की महिलाओं को 30 फीसदी आरक्षण का मुद्दा शासन स्तर पर उठाएंगे विधायक सुमित

ख़बर शेयर करें -

हल्द्वानी। राज्य लोक सेवा आयोग में उत्तराखंड की महिलाओं के 30 प्रतिशत आरक्षण पर लगी रोक को लेकर विधायक आवास पर पीसीएस की तैयारी कर रहे छात्रों ने हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश को ज्ञापन देकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया। छात्रों का उनका कहना है कि राज्य निर्माण में उत्तराखंड की महिलाओं की विशेष भूमिका रही, जिसमें सरकार ने राज्य लोक सेवा आयोग की सभी परीक्षाओं में राज्य के महिला विद्यार्थियों के 30 प्रतिशत आरक्षण की बात कही बावजूद कोर्ट स्टे लगने के बाद सरकार उनके भविष्य को लेकर उन्हें आश्वासित करने के बाद कुछ नहीं कर पा रही है।
वहीं हल्द्वानी विधायक ने छात्राओं की बात सरकार के समक्ष रखने की बात कही।
छात्राओं ने कहा कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित होने वाली उत्तराखंड वन क्षेत्राधिकारी मुख्य परीक्षा में विसंगतियों पर ध्यान दिया जाना जरूरी हैं। राज्य में 11 अगस्त 2021 को उत्तराखंड वन क्षेत्राधिकारी मुख्य परीक्षा के 46 पदों हेतु नोटिफिकेशन जारी किया गया जिसकी प्रारंभिक परीक्षा 28 नवंबर 2021 को संपन्न हुई। जिसकी मुख्य परीक्षा 11 से 15 सितंबर प्रस्तावित थी। 29 अगस्त को आयोग द्वारा प्रवेश पत्र जारी किये गए थे, किंतु उच्च न्यायालय के आदेशानुसार मुख्य परीक्षा अग्रिम आदेश तक स्थगित की जा चुकी है। राज्य गठन के उपरान्त ही वर्ष 2002 के एक शासनादेश के द्वारा उत्तराखंड की महिलाओं हेतु राज्य सेवाओं में 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान किया गया था। जिसमें 2006 में संशोधन कर 30 फीसदी आरक्षण कर दिया गया। वर्तमान में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय में इस शासनादेश को असंवैधानिक मानते हुए अन्य राज्य की महिलाओं को भी इस 3 0फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने को कहा गया है। साथ ही अपने एक और निर्णय में कोर्ट ने आयोग को कट ऑफ रिवाइज करने के निर्देश भी दिए हैं जिससे पूर्व में मुख्य परीक्षा देती चयनित उत्तराखंडी महिला अभ्यर्थी संशय में हैं कि क्या वे मुख्य परीक्षा में शामिल हो भी पाएंगी या नहीं।
इस के संदर्भ में निवेदन किया है कि राज्य सेवाओं में प्रदेश की महिलाओं को 30% क्षैतिज आरक्षण को पुनर्स्थापित करें, जिससे प्रदेश की महिलाओं को राज्य सेवाओं में आने के लिए प्रोत्साहन मिले।. प्रारम्भिक परीक्षा में चयनित प्रदेश की महिला अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में प्रतिभाग करने के अधिकार को सुनिश्चित करें ताकि इस विषय में किसी प्रकार का संशय ना रहे।

Ad