उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय को मिली “नैक” की मान्यता,अब बार-बार नहीं लेनी होगी यूजीसी की मान्यता

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हल्द्वानी। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय को  राष्‍ट्रीय मूल्‍यांकन एवं प्रत्‍यायन परिषद “नैक” की मान्यता मिल गई है । विश्वविद्यालय को नैक की ओर से बी++ ग्रेड मिला है, यानि बहुत अच्छा। विश्वविद्यालय में नैक की मान्यता को लेकर खुशी की लहर है। पहली बार विश्वविद्यालय ने नैक की ग्रेडिंग की मान्यता के लिए आवेदन किया था।
ज्ञात हो कि अभी कुछ दिन पहले 12 से 14 अक्टूबर 2022 को ‘नैक’  राष्‍ट्रीय मूल्‍यांकन एवं प्रत्‍यायन परिषद की पांच सदस्यीय टीम विश्वविद्यालय की अकादमिक गुणवत्ता के साथ-साथ प्रसाशनिक व ढांचागत व्यवस्था के मूल्यांकन हेतु विश्वविद्यालय में आई थी।
मूल्यांकन 2016-17 से लेकर 2021 तक के अकादमिक वर्षों के एस एस आर के आधार पर होना था। 2019 तक विश्वविद्यालय के पास अकादमिक स्टाफ व भौतिक संसाधन ना के बराबर था लेकिन पिछले तीन वर्षों में विश्वविद्यालय ने भौतिक संसाधनों में काफी वृद्धि की अकादमिक स्टाफ में भी काफी वृद्धि की गई। इसके साथ ही कई नए अकादमिक कोर्सों को शुरू किया गया। अकादमिक स्टाफ में 25 स्थाई नियुक्तियां व लगभग70 अस्थाई शिक्षकों की भर्तियां की गई। ढांचागत विकास में अतिथि भवन, कुलपति आवास, विज्ञान भवन, बहुउद्देश्यीय भवन, कर्मचारी आवास, प्रसाशनिक भवन, एमपडीडी भवन, कैंटीन आदि कई निर्माण कार्य किये गए। जिसके परिणाम स्वरूप आज विश्वविद्यालय देश की ‘नैक’ जैसी महत्वपूर्ण परिषद से मान्यता प्राप्त चुकी है।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 ओ0 पी0 एस0 नेगी, सीका के निदेशक प्रो0 आर0 सी0 मिश्र तथा कुलसचिव डॉ0 रश्मि पंत ने विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी।
कुलपति प्रो0 ओ0 पी 0 एस0 नेगी ने कहा कि अब हम बेहत्तर एकेडमिक ट्रेक पर आ गए हैं अब कोशिश करेंगे कि हम निरन्तर मेहनत करके और बेहत्तर ग्रेड लाएं।
कुलसचिव डॉ0 रश्मि पंत ने हर्ष जताते हुए कहा कि यह हमारी बहुत बड़ी उपलब्धि है कि एक ओपन यूनिवर्सिटी होते हुए भी हमने यह हासिल की है।
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय को नैक की मान्यता मिलने के बाद अब यदि नैक की मान्यता नहीं मिलती तो 2023 में पी जी के लगभग सभी प्रोग्राम बंद हो जाते। क्योंकि इन प्रोग्रामों की मान्यता 2023 तक इस शर्त पर मिली थी कि विश्वविद्यालय यदि 2023 तक नैक नहीं करवाता है तो यूजीसी इन प्रोग्रामों को बंद कर देगी। अब तक विश्वविद्यालय में किसी भी विभाग या फैकल्टी के पास यूजीसी का कोई रिसर्च प्रोजेक्ट नहीं था, अब इसके लिए कोई भी परमानेंट फैकल्टी आवेदन कर सकता है। जिसके तहत कई शोधार्थी अपना शोध कर सकते हैं।
विश्वविद्यालय को यू जीसी अनुदान मिल पायेगा। विश्वविद्यालय की शिक्षा में गुणवत्ता आएगी, छात्रों की मार्कशीट और उपाधि पर ‘नैक अक्रिडीटेड यूनिवर्सिटी’ लिखा मिलेगा जिस से उपाधि की मान्यता बढ़ेगी। अब नए प्रोग्राम/पाठ्यक्रमों को संचालित करने के लिए बार बार यूजीसी से मान्यता नहीं लेनी होगी।

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