देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने विधानसभा में लोकमहत्व का महत्त्व पूर्ण प्रश्न उठाया। उन्होंने कहा कि देहरादून हवाई अड्डे के विस्तारीकरण हेतु जमीन का माफ जोख किया जा रहा है जिसके कारण टिहरी बांध विस्थापित अठूरवाला और जौलीग्रांट के सैकड़ों परिवार, दुकानदार, होटल, ढाबे तमाम स्वरोजगार करने वाले लोग आशंकित होकर आंदोलन कर रहे हैं। बार-बार उजड़ने का दंश यह लोग दो बार झेल चुके हैं लोगों के पास रोजगार का कोई दूसरा साधन नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि लोगों की खेती की जमीन बचाने को संघर्ष कर रहे हैं विगत दिनों क्षेत्रवासियों ने अपना विरोध जताने के लिए महापंचायत का भी आयोजन किया। जिसमें उन्होंने हवाई अड्डे के विस्तारीकरण या एरोसिटी के निर्माण के लिए जमीन न देने का संकल्प दोहराया है
टिहरी बांध के निर्माण के लिए टिहरी के लोगों ने अपने पुरखों की बेशकीमती जमीन घर बार सब कुछ त्याग किया।
1980 में उन्हें यहां बसाया गया। 2003-04 में हवाई अड्डे के विस्तारीकरण के लिए एक बार फिर हटाया गया और अब 2022 में फिर से क्षेत्र के लोग उजड़ने के डर से आशंकित है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि सरकार यदि देहरादून हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाना चाहती है तो उसके लिए उस विकल्प पर काम किया जाए जिससे किसी को बेघर न होना पड़े सरकार के पास अपनी निजी भूमि व भारी मात्रा में जंगल क्षेत्र मौजूद है पूर्व में उसका सर्वे भी किया जा चुका है और यदि हवाई अड्डे का विस्तारीकरण जंगल की ओर किया जाता है तो सरकार को इसके लिए न तो किसी को विस्थापित करना पड़ेगा और ना ही किसी प्रकार का मुआवजा देना पड़ेगा इससे क्षेत्र के सैकड़ों वे दुकानदार होटल मालिक ढाबे वाले भी बच जाएंगे जिन्होंने वर्षों की तपस्या के बाद अपना स्वरोजगार कायम किया है, क्योंकि सैकड़ों लोगों की रोजी-रोटी भी इन्हीं से जुड़ी हुई है ऐसे में जन भावना के अनुरूप काम करना बेहद जरूरी है इसलिए मेरी सरकार से गुजारिश है कि सरकार टिहरी बांध विस्थापित और जौलीग्रांट क्षेत्र के लोगों की जमीन की बजाए विस्तारीकरण के लिए जंगल वाला विकल्प अपनाएं ताकि जन भावनाएं भी आहत न हों और विकास का कार्य बदस्तूर आगे बढ़े।