नैनीताल। हाईकोर्ट ने विधानसभा सचिवालय में की गई बैकडोर भर्तियों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने विधानसभा सचिवालय एवं सरकार को नोटिस जारी कर एक मई तक जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ में हुई। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए एक मई की तिथि नियत की है।
मामले के अनुसार, देहरादून निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि विधानसभा सचिवालय में वर्ष 2000 से अब तक बैकडोर नियुक्तियां की गई हैं। इस पर सरकार ने एक जांच समिति बनाकर 2016 से अब तक की भर्तियों को निरस्त कर दिया। लेकिन यह बैकडोर भर्ती घोटाला राज्य गठन से ही चल रहा है। वर्ष 2000 से 2015 तक हुई नियुक्तियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
याचिका में आरोप है कि यहां उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 एवं उत्तराखंड विधानसभा की 2011 नियमावलियों का उल्लंघन किया गया है। राज्य निर्माण के बाद से वर्ष 2022 तक विधानसभा सचिवालय में हुईं समस्त नियुक्तियों की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में कराई जाए। भ्रष्टाचारियों से सरकारी धन वसूल किया जाए।
याचिका में कहा गया है कि विधानसभा सचिवालय ने पक्षपातपूर्ण कार्य करते हुए अपने करीबियों की बैकडोर भर्ती नियमों को ताक पर रख कर की है। जिससे प्रदेश के लाखों बेरोजगार एवं शिक्षित युवाओं के साथ धोखा हुआ है। यह सरकारों का जघन्य भ्रष्टाचार है। सरकार भी दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।