देवालयों का चढ़ावा सनातन धर्म के प्रसार व रक्षा में खर्च हो: रवींद्र धामी

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खटीमा। सनातन संस्कृति केंद्र के मुख्य सेवक रविन्द्र सिंह धामी ने हिन्दू धर्म के सभी शंकराचार्य व पीठाधीश्वर को पत्र जारी किया है। पत्र में कहा है कि सनातन हिन्दू धर्म के सभी शंकराचार्य, पीठाधीश्वर, अखाड़ों के प्रमुख, देवालयों, बाबा, माईयों को प्रणाम.. आपके संज्ञान में बिना लागलपेट के लाना चाहता हूं कि जब आपकी आंखों के सामने सनातन धर्म की धरती पर अपना प्रभुत्व जमाने के लिए अन्य धर्मों के विश्व भर के प्रमुख केन्द्रों से भारत में हर सम्भव प्रभाव बनाने का प्रयास हो रहा है, तो आपका खुलकर आगे न आना साफ है कि सनातनी होने के नाते खटक रहा है। आज सनातन की हालत यह है कि आजादी के समय सनातनियों का जो प्रतिशत था वह इन 75 साल में घटता जा रहा है। देश व विश्व में सनातन के प्रसार के लिए सनातन के केंद्र भारत के सनातन के प्रमुखों की ओर से कोई पहल , मदद, प्रयास नजर नही आ रहा है, साथ ही चुनोतियों से निपटने के लिए भी कोई सामूहिक प्रयास या कहीं से मदद नहीं हो रही है, सिर्फ चिंता जताने का कार्य हो रहा है। जब देश धार्मिक आधार पर आजाद हुआ तो साजिशन भारत को सनातन भारत नहीं बनने दिया। इन 75 वर्ष में सनातन के देवालयों को भी बढ़ावा नहीं दिया, और सनातन को बढ़ावा देने वालों को हतोत्साहित ही किया जाता रहा। इसका विषेला असर आज देखने को मिल रहा है कि सनातन में धर्मांतरण, धर्मनिरपेक्षता के नासूर भी सिर उठा रहे है। इसलिए आज की सबसे बड़ी आवश्यकता सनातन के देवालयों के धर्मगुरुओं, शंकराचार्य, अखाड़ों, धार्मिक अपनों को आगे आने की है, इसमें देवालयों के धन के अंश का प्रयोग चुनोतियों से निपटने में हो। साथ ही देश की राजनीति को भी सनातन को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करना जरूरी है। सनातन के धर्मगुरुओं से आग्रह है कि वह हुंकार भर कर तन मन और देवालयों के धन के साथ सनातन के विश्व में प्रचार, परचम फैलाने को आगे आएं। जिससे सनातन के समक्ष खड़ी चुनोतियो से निपटा जा सके। इसमें जितनी देरी होगी उतना ही नुकसान होगा।
पुनः धर्मगुरुओं को प्रणाम..इस पर गम्भीरता से विचार व सनातन के लिए अपना कर्तव्य निभाएं..इसी उम्मीद के साथ।

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