पिथौरागढ़। उत्तराखंड पंचायतीराज विभाग के तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण में ग्राम पंचायतों के भीतर बन रही ग्राम पंचायत विकास योजना में ठोस अपशिष्ट के प्रबंधन पर विशेष कार्ययोजना तैयार करने पर जोर दिया गया। ग्राम पंचायत के सदस्यों का आव्हान किया गया कि आने वाली पीढ़ियों के लिए हम हिमालय के पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए प्रमुख भूमिका निभाएं।
सामाजिक संस्था सोसायटी फॉर एक्सन इन हिमालया पिथौरागढ़ के सहयोग से आयोजित प्रशिक्षण में जिले के तीन विकास खंडो मूनाकोट,कनालीछीना,पिथौरागढ़ में आयोजित प्रशिक्षण में ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार करने पर बात हुई।
संस्था के मास्टर ट्रेनर्सो ने कहा कि स्वच्छ गांव की परिकल्पना के लिए हमें लंबी सोच के साथ आगे कार्य करना होगा। उन्होंने कहा कि जब गांव के भीतर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की व्यवस्था होगी तभी हिमालय के गांवों को हम शुद्ध रख सकते है। उन्होंने कहा कि आज हम ठोस अपशिष्ट का प्रबंधन तथा सिंगल यूज़ प्लास्टिक का उपयोग कम करेंगे तो हिमालय का पर्यावरण संरक्षित रहेगा।
हमें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए हवा,पानी को बचाकर रखना है तो यह आवश्यक है कि हम ठोस अपशिष्ट से अपने गांवों को मुक्त रखें।
दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में विभिन्न विभागों की योजनाओं पर भी मंथन किया गया। कहा कि रेखीय विभागों को भी अब ग्राम पंचायत में बैठकर योजना बनानी होगी।
न्याय पंचायत सातशिलिंग में मड़खडायत की ग्राम प्रधान हेमा मेहता, सातशिलिंग की प्रधान निशा खड़ायत, बीसाबजेड़ की ग्राम प्रधान सरोज चंद, सल्मोड़ा के प्रधान राजेन्द्र चंद न्याय पंचायत नैनी शैनी में पाभै के उप प्रधान गोपाल सिंह, नैनी की उप प्रधान रेखा महर तथा न्याय पंचायत मौड़ी में ग्राम प्रधान नन्दन सिंह ने प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन दीप प्रज्वलित कर किया।
इस मौके पर तीनों प्रशिक्षणों में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी सुश्री सावित्री टम्टा, ग्राम विकास अधिकारी शोभा द्विवेदी, सहायक कृषि अधिकारी रेनू जोशी, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी हेमा पटियाल, प्रभारी उद्यान सचल दल शमशेर लाल पशुधन प्रसार अधिकारी राजेश्वर राम, गंगा ओली, बिमला बसेड़ा आदि मौजूद रहे।