हल्द्वानी। उत्तराखंड महापरिषद के 75 वें स्थापना वर्ष समारोह के अंतर्गत उत्तराखंड के संगीतज्ञ एवं कवि गिरीश चंद्र बहुगुणा “उत्तरांचली” द्वारा रचित कुमाऊँनी काव्य संग्रह “मयेरि पछ्याण” का संगीतमय विमोचन उत्तराखंड के प्रख्यात साहित्यकार एवं पत्रकारों के कर कमलों से स्व. मोहन सिंह बिष्ट सभागार , उत्तराखंड महा परिषद भवन कुर्माचल नगर लखनऊ में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर डा गोविंद पंत राजू की अध्यक्षता में मुख्य अतिथि नवीन जोशी एवं डा. पूर्णिमा पांडे उपस्थित में कार्यक्रम संपन्न हुआ।
इस अवसर उत्तराखंड महापरिषद के अध्यक्ष हरीश पंत एवं महासचिव भारत बिष्ट की उपस्थिति भी रही। कार्यक्रम का संचालन पूरन सिंह जीना एवं नारायण पाठक ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत कवि गिरीश बहुगुणा एवं भाविनी बहुगुणा ने सरस्वती वंदना हे वीणा वादिनी हे शारदे मां
विलंबित ताल में प्रस्तुत की। फिर जै हो भूमि उत्तराखंड एवं बार पाटेकि घाघेरी और रिमझिमा गीत गाया। मोहन सिंह ने हुडुके पर भरपूर संगत की जिससे कार्य क्रम में चार चाँद लग गये।
मुख्य अतिथि नवीन जोशी ने श्री बहुगुणा के काव्य संग्रह को उत्तराखंड की धरोहर कहा। कार्यक्रम के अध्यक्ष गोविंद पंत राजू ने इसको पहाड़ की लघु कथा का भंडार कहा।
विशिष्ट अतिथि डॉ पूर्णिमा पांडेय ने कवि गिरीश बहुगुणा को संगीत एवं काव्य का संयुक्त प्रहरी बताया। समारोह के अंत में कवि एवं गायक गिरीश चंद्र बहुगुणा ने केले बजे मूरुली गीत प्रस्तुत किया।
सभी सम्मानित अतिथियों का सम्मान अंग वस्त्र एवं 24 घंटे ऑक्सीजन देने वाले स्नेक प्लांट के गमले से किया गया।
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