गैरसैंण। उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) का 22वां द्विवार्षिक महासम्मेलन गैरसैंण में हुआ। सम्मेलन के दौरान हुए चुनाव में पूरन सिंह कठैत पार्टी के नये केंद्रीय अध्यक्ष चुने गए।
गैरसैंण में रविवार को श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम के स्वामी मनमथन सभागार में यूकेडी का सम्मेलन हुआ। इसमें प्रदेश के सभी जिलों से पार्टी के वरिष्ठ नेता, डेलीगेट और जिलाध्यक्ष मौजूद रहे। सम्मेलन की शुरुआत राज्य आंदोलनकारी इंद्रमणि बडोनी को पुष्पांजलि के साथ हुई। पार्टी नेताओं ने बडोनी के चित्र के आगे दीप प्रज्ज्वलित कर राज्य आंदोलन में उनके योगदान को याद किया। सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि पार्टी एकता के बल पर अपने सियासी उद्देश्य पा सकती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता निवर्तमान केंद्रीय अध्यक्ष व पूर्व विधायक काशी सिंह ऐरी ने की। इस दौरान पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव में सर्वाधिक 95 मत पाकर पूरन सिंह कठैत विजयी रहे। उनके अलावा पंकज व्यास को 86, एपी जुयाल को 51 मत प्राप्त हुए जबकि देवेश्वर भट्ट को मात्र छह मतों से ही संतोष करना पड़ा। तीन मत अवैध घोषित हुए। चुनाव की प्रक्रिया के लिए प्रताप कुंवर, समीर मुंडेपी चुनाव अधिकारी व देवेन्द्र चमोली मतदान अधिकारी बनाए गए थे। नवनियुक्त अध्यक्ष कठैत ने कहा कि पार्टी में सभी लोगों के साथ विचार-विमर्श के बाद नई कार्यकारिणी घोषित की जाएगी।
इस दौरान पार्टी के संयोजक बहादुर रावत, सह संयोजक राजेन्द्र बिष्ट पार्टी के साथ पूर्व केंद्रीय अध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार, पूर्व कैबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट, पूर्व विधायक नारायण सिंह जंतवाल, पुष्पेश त्रिपाठी के साथ शांति प्रसाद, लक्ष्मी उनियाल, सुरेन्द्र कुकरेती, सरिता पुरोहित, अर्जुन रावत आदि मौजूद रहे।
उक्रांद के निवर्तमान अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी ने कहा कि उत्तराखंड क्रांति दल में अभी तक अध्यक्ष का चयन सर्वसम्मति से होता था। पहली बार चुनाव हुआ है। इससे पता चलता है कि उक्रांद के भीतर आंतरिक लोकतंत्र कितना मजबूत है। ये नई पहल है। इससे पार्टी को और मजबूती मिलेगी। युवा, पार्टी से जुड़ने के लिए प्रेरित होंगे। अब उक्रांद की कमान युवाओं के हाथ में रहेगी।
पार्टी के नवनियुक्त अध्यक्ष पूरन सिंह कठैत ने कहा कि उक्रांद को मजबूत करना मेरी प्राथमिकता रहेगी। इसके लिए युवाओं को पार्टी के साथ जोड़ा जाएगा। गांवों से लेकर शहरों तक पार्टी कैडर का विस्तार किया जाएगा। प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ मजबूती से आवाज उठाएंगे। साथ ही जिस उद्देश्य के लिए राज्य बना
था, उन्हें लागू कराने के लिए मिल कर सरकार पर दबाव बनाएंगे।