कोरोना काल : फिर दुल्हन पहुंची दुल्हे के घर और लिए सात फेरे

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चम्पावत। कोरोना की वजह से हालात तो बदल ही गए हैं, अब परंपराएं भी बदल रही हैं। तमाम लोगों के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद कंटेनमेंट जोन बनाए गए स्वाला में तीन दिनों दो अनूठी शादियां हो चुकी हैं। दोनों ही विवाह परंपरा के ठीक उलट हुए हैं। परंपरा यह है कि विवाह करने दूल्हा बारात लेकर दुल्हन के यहां जाता है, लेकिन यहां कोरोना के चलते दुल्हन को सात फेरे लेने वर के घर पर जाना पड़ रहा है। ऐसे में दुल्हन की विदाई जैसी रस्म केवल प्रतिकात्मक हो पा रही है। क्षेत्र के ग्राम स्वाला में पिछले तीन दिनों में ऐसे दो विवाह संपन्न हो गए हैं। स्वांला गांव में एक साथ 47 लोगों के कोरोना संक्रमित होने के कारण जिला प्रशासन की ओर से स्वांला को कंटेनमेंट जोन घोषित कर 11 मई से गांव में आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस दौरान पूर्व से तय शादी विवाह समारोह के खटाई में पड़ने की आशंका के चलते प्रशासन की ओर से इस शर्त के साथ विवाह समारोह आयोजित करने की अनुमति दी कि वधू पक्ष के लोग सीमित संख्या में दूल्हे के घर पर जाकर शादी कर सकते हैं। इसके बाद 12 मई को पहली बार पुनाबे के रमेश बिनवाल की बेटी प्रियंका चार लोगों के साथ बरात लेकर स्वांला निवासी दूल्हे प्रकाश चंद्र भट्ट के घर पहुंची थी, जबकि शुक्रवार को रायनगर चौड़ी के केशव दत्त की पुत्री प्रीति भी माता-पिता और पंडित के साथ स्वांला पहुंच गई। जहां उसका विवाह दिले राम भट्ट के पुत्र ईश्वरी दत्त भट्ट के साथ संपन्न हो गया। विवाह समारोह में शामिल सभी लोगों को प्रशासन की ओर से होम आइसोलेट किया गया है।
स्वांला गांव से कुछ ही दूरी पर स्थित बेलखेत गांव में विवाह संपन्न होने के बाद भी दुल्हन विदा नहीं हो पा रही है। वजह कोरोना संक्रमण। बेलखेत गांव को भी कोरोना के कारण कंटेनमेंट जोन बनाया गया है। आठ मई को ऊधम सिंह नगर जिले के चकरपुर से पंकज अधिकारी का विवाह बेलखेत निवासी सीमा के साथ हुआ था। सीमा के संक्रमित होने के कारण दोनों का विवाह पीपीई किट पहन कर स्वास्थ्य और राजस्व विभाग के अधिकारियों की देखरेख में हुआ था। इसके बाद दुल्हन को होम आइसोलेट किया गया जबकि दूल्हा बिना दुल्हन के बरात लेकर लौटा। अब 17 दिन की आइसोलेशन अवधि पूरी होने के बाद ही दुल्हन की विदाई हो सकेगी।

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