धारा 43 B ( H) क्या है, क्यों हैं व्यापारी उलझन में, पढ़े विस्तार से

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हल्द्वानी। जब से ये घोषणा हुई है कि आयकर अधिनियम की धारा 43(B) एच लागू होगी तब से व्यापारियों की उलझन बड़ी है केवल व्यापारी ही नहीं आयकर कर सलाहकारों, कर अधिवक्ताओ, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स में भी हंगामा मचा हुआ है

क्या है ये धारा जिससे हंगामा बरपा है : 2023 के वित्त अधिनियम, आयकर अधिनियम में संशोधन किया जिसमें एमएसएमई यानी सूक्ष्म और लघु उद्योगों को माल और सेवाओ के बदले किये जाने वाले भुगतान की समय सीमा को तय किया गया , चूँकि कानून ये एमएसएमई को फायदा पहुंचाने के लिए लाया गया इसलिए इसका लाभ MSMEs को होना है उनको समय से भुगतान जायेगा तो कार्य सुचारू रूप से चलेगा इसी उद्देश्य के लिए ये नयी धारा लायी गयी

व्यापारियों के लिए क्यों बनी ये मुसीबत :

सामान्यतः व्यापारियों को माल पर देय भुगतान के लिए तीन चार महीने के समय मिल जाता था, पर इस नियम के बाद उनको 45 दिन (अनुबंध नहीं तो 15 दिन) के भीतर भुगतान करना ही होगा, ऐसे में उसके फंड मैनेजमेंट पर फर्क पड़ेगा, क्यूंकी उनके देनदारों से समय से भुगतान नहीं आएगा तो वो आगे कैसे भुगतान कर पाएंगे ? दूसरा भुगतान न करने पर इसे इनकम मानकर इस पर टैक्स देने का भार क्यूंकि इस नियम के अनुसार यदि 15 /45 दिन में भुगतान नहीं किया तो ये पूरी देय राशि को कर प्रयोजन से लिए जोड़ना पड़ेगा , यानि देरी से भुगतान को खर्चे मे स्वीकृत नहीं किया जाएगा और इनको आय में जोड़कर कर लिया जाएगा ।

कर सलाहकारों/कर पेशेवरों में भी उलझन :

ये किस दशा में लागू होगा इसको लेकर बहुत उलझनें हैं पहला ये किस पर लागू होगा, क्या ट्रेडर्स पर ये लागू होगा या नहीं ? इस नए कानून में ऑडिटर की भी जिम्मेदारी है ऐसी लंबित भुगतानों को लाभ में जोड़ना है

चूँकि MSMEs के फायदे के लिए इस कानून में संशोधन किया था, इसलिए ये नियम उन वस्तु और सेवा की खरीद से सम्बंधित सभी भुगतानों पर लागू होगा , जैसे कोई जो MSMEs से खरीदता है, यानि माल बनाये वाले निर्माता और सेवा प्रदाताओं से जो सेवा लेते हैं उन पर ये नया कानून लागू होगा

छोटे शहरों के अधिकांश व्यापारी थोक ऐवम खुदरा व्यापरियों से माल खरीदकर आगे बेचते हैं क्या उस ट्रैडर्स पर ये लागू होगा या नहीं इस बारे में भी दुविधा की स्थिति है पर

MSMEs कानून मे ट्रैडर्स शामिल नहीं होते परंतु आजकल बैंक ऋण या कोई भी वित्तीय सुविधा प्रदान करने से पहले ट्रैडर्स का भी msme में पंजीकृत करा देते हैं ऐसे में एक अधिसूचना n
Memorandum No. 5/2(2)/2021-E/P and G/Policy dated July 2, 2021o 5 /2(2)2021- दिनांक 2 जुलाई 2021 है उसके आधार पर कहा जा सकता है कि ट्रेडर्स जिन्होंने केवल प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के अधिकार के लिए MSMEs ऐक्ट मे पंजीकरण करवाया है तो उन पर ये नियम लागू नहीं होता है , इस सपस्टिकरण से अधिकांश ट्रेडर्स को राहत मिलेगी वैसे भी ये नियम MSMEs के लाभ के लिए लाई गई है तो इसका लाभ ट्रेडर्स नहीं ले सकते

छोटे व्यापारी जो अपनी 44AD के तहत (जो बिक्री पर 6% या 8% लाभ निर्धारित कर विवरणी दाखिल करते हैं ) उन पर भी ये नियम लागू नहीं होगा

कोई स्थायी/पूंजीगत सम्पत्ति पर भी ये नियम लागू नहीं होता

और ये फायदा केवल शूक्ष्म और लघु उधोग की ले पाएंगे यानि जिनकी माध्यम उधोग इसका लाभ नहीं सकते वही शामिल है

सूक्ष्म में वो उधमी जिनका निवेश 1 करोड़ तथा टर्न ओवर 5 करोड़ और लघु उधमी जिक निवेश 10 करोड़ तथा 50 करोड़ टर्न ओवर हो उन्ही को ये लाभ मिलेगा

आजकल कई ट्रैड यूनियन, व्यापारी , पेशेवरों के समूह इस नियम कानून को लेकर उलझन में हैं वो देश के कई समूहों ने सरकार को इऑस संबंध में ज्ञापन भी सौंपें हैं , खासकर इस कि ये कानून को वित्तीय वर्ष 2023 -24 से लागू न करके वित्तीय वर्ष 2024-25 से लागू किया जाये

सरोज आनंद जोशी

चार्टर्ड अकाउंटेंट

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