हल्द्वानी। दीक्षांत इंटरनेशनल स्कूल में प्रसिद्ध कवयित्री श्रीमती शोभा थरूर श्रीनिवासन (बहन शशि थरूर सांसद सदस्य केरल) को आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती को साक्षी मानकर दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ । कार्यक्रम में विद्यालय प्रबंधन समिति के प्रबंधक समित टिक्कू, शैक्षणिक निर्देशिका श्रीमती स्मृति टिक्कू, विद्यालय प्रधानाचार्य रूपक पांडे, प्रभलीन वर्मा सलूजा, समन्वयिकाएं श्रीमती चारु भट्ट, श्रीमती वत्सला पांडे व समस्त शिक्षक गण मौजूद रहे।
इस कार्यक्रम हेतु विद्यालय में आकर्षक सत्र आयोजित किया गया, जिनमें जूनियर वर्ग के विद्यार्थियों की विविध रुचियों और सीखने के स्तर के अनुरूप बनाया गया। सर्वप्रथम श्रीमती श्रीनिवासन ने स्वरचित पुस्तक इट्स टाइम टू राइम की कविताओं को विद्यार्थियों को सुनाया, जिसे छात्रों ने बेहद रुचिपूर्ण ढंग से सुना । कवि के मन की जिज्ञासा व अपने अनुभवों को सबके साथ साझा किया ।
प्रश्नोत्तरी माध्यम से छात्रों को कवयित्री के साथ सीधे जुड़ने की अनुमति दी। जिसमें विद्यार्थियों ने कवयित्री श्रीमती शोभा थरूर श्रीनिवासन से उनके इस लेखन क्षेत्र से जुड़े हुए जीवन यात्रा के बारे में जानकारी प्राप्त की । इस सत्र ने साहित्य की दुनिया में चित्रण, लेखन और लेखक की व्यक्तिगत यात्रा पर गहन चर्चा के लिए एक खुला मंच प्रदान किया। कवयित्री ने सभी विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते हुए कहा, लेखक अगर तू भी हो गया मौन, तो इस दौर की कहानी लिखेगा कौन? तू करम अपना कर, अब उपेक्षित होने से बचाने वाली पीढ़ी के सामने रख सच से भावी लेखक कवि होने की प्रेरणा दी ।
इस कार्यक्रम में साहित्यिक अन्वेषण के प्रति उनके समर्पण को मान्यता देते हुए अवकाश पुस्तक पठन प्रतियोगिता सत्र 2024-25 के विजेताओं का अभिनंदन कर उन्हें प्रथम, द्वितीय व तृतीय श्रेणी के पुरस्कार व प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में शामिल हुईं श्रीमती शोभा थरूर श्रीनिवासन के सम्मान में उन्हें स्मृति चिन्ह व पेंटिंग भेंट स्वरूप प्रदान की गई।
कार्यक्रम का समापन प्रबंधक समित टिक्कू का भाषण द्वारा हुआ । जिसमें आज के डिजिटल युग में पढ़ने के महत्व और पुस्तकों के प्रति प्रेम को बढ़ावा दिया गया।
उन्होंने अपने वक्तव्यों में एक शानदार उक्ति विज्ञान तो चांद पर उतरेगा, लेकिन चांद को खिड़कियों पर उतार पाएंगी सिर्फ कविताएं के माध्यम से समस्त जनमानस का मन जीत लिया । आज के कार्यक्रम की अतिथि का धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम का समापन हुआ ।