पिथौरागढ़। नदी घाटी क्षेत्र में आ रही भीषण आपदा पर जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने कहा कि यह मानव जनित आपदा है। नदियों को डंपिंग जौन बनाने से प्रतिवर्ष आपदाएं आ रही है। प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री को ईमेल से पत्र भेजकर इसे रोकने के लिए नीति बनाने की मांग की।
जिपं सदस्य जगत मर्तोलिया ने कहा कि नदियों को डंपिंग जौन बना दिया गया है। वर्ष 2013 की भीषण त्रासदी से भी उत्तराखंड की सरकारो ने सबक नहीं लिया।
मर्तोलिया ने कहा कि इन दिनों लगातार हो रही बारिश से नदी घाटी क्षेत्रों में भारी तबाही मची हुई है। इसके लिए जल विद्युत परियोजना बनाने वाली कंपनी, लोनिवि, बी.आर.ओ. पीएजीएसवाई जैसे विभाग जिम्मेदार है। इनके द्वारा मोटर मार्ग निर्माण का मलवा, पत्थर नदी में डाल दिए जाते है।
जिले के गोरी नदी, काली नदी, धौलीगंगा, रामगंगा के साथ ही सहायक नदी व गधेरो को डंपिंग जौन बनाकर यह आपदा आमंत्रित की गई है। राज्य के पहाड़ के जिले उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर तथा पिथौरागढ़ मुख्य रुप से
इस कारण आपदा का दंश झेल रही है।
मर्तोलिया ने कहा कि डंपिंग जौन के लिए बजट का प्राविधान होता है, उसे ठेकेदार तथा अधिकारी हडप जाते है। बरसात में यह मलवा पानी के साथ मिलकर बम बनकर तबाही मचा रहा है।
मर्तोलिया ने कहा कि पहाड़ को आपदाओ से बचाने के लिए इस मुद्दे पर सरकार को घेरना है। इस पत्र पर राज्य तथा केन्द्र सरकार के उत्तर का इंतजार करने के बाद आंदोलन की रणनीति बनायी जाएगी।
मर्तोलिया ने कहा कि सरकार का आलवेदर सड़क का जो सपना दिखाया गया था, वह भी चकनाचूर हो गया है। हमारी सरकारो को नसीसत दिया कि वे नेपाल से पहाड़ी इलाकों में कैसे सड़क कटिंग कर सकते है, उसकी तकनीकी सीखे।