कांग्रेस राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत का सोशल मीडिया पर पोस्ट: 2017 में नई सरकार आते ही जल संरक्षण को बनाए गए “जल बोनस” का हो गया गभॅपात

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हल्द्वानी। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत हर रोज सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल कर सरकार की नीतियों पर प्रहार कर रहे हैं। आज उन्होंने फिर फेसबुक पर छल संपदा पर सरकार पर सवाल उठाए हैं।
श्री रावत ने लिखा है वृक्ष_बोनस के बाद उत्तराखंड की दूसरी संपदा जल है। हमने चाल-खाल बनाने की नीति के साथ-साथ जल संभरण को प्राथमिकता दी। मुझे लगा की इस अभियान में यदि जनता जनार्दन को जोड़ना है तो हमें जल_संग्रहण पर कुछ प्रोत्साहन लोगों को देना चाहिए। शहरी क्षेत्रों में वॉटर हार्वेस्टिंग का कॉन्सेप्ट है और बहुत सारे लोग अपने प्राइवेट हाउसेज व प्राइवेट एरिया में वॉटर हार्वेस्टिंग करते हैं। वॉटर हार्वेस्टिंग अब एक स्थापित सत्य है, मगर उत्तराखंड के अंदर वॉटर हार्वेस्टिंग को किस तरीके से इंट्रोड्यूस किया जाए और उसको पॉपुलराइज किया जाए। जल को न केवल अपने उपयोग के लिए बल्कि अपने चारों तरफ की प्रकृति के उपयोग के लिए भी लोग संग्रहित करें और उस राज्य में जहां बरसात में बहुत पानी बरसता है। यह आमदनी का एक अच्छा जरिया हो सकता है। यह सोचते हुए हमने #जल_बोनस देने का निर्णय किया। मगर जल बोनस देने का निर्णय लेना जितना सरल था, उसके लिए नियम-कानून बनाना उतना ही कठिन काम था। मैंने, जो आज कमिश्नर कुमाऊं हैं उनको यह दायित्व सौंपा और उन्होंने बड़ी कुशलता के साथ सब लोगों से परामर्श इत्यादि कर एक नीति तैयार की और उसके तहत बोनस वितरण का काम जल संस्थान को सौंपा गया। इस योजना को मॉनिटर और एडमिनिस्टर्ड करना, दोनों दायित्व भी उसी विभाग को सौंपे गये। सब चीजों को क्रियान्वयन की स्तिथि में लाने तक इतना समय लग गया कि चुनाव आ गये और हमारी योजना को वास्तविक अर्थों में क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी नई सरकार पर आयी, जिस जिम्मेदारी को नई सरकार ने नहीं निभाया और इसका परिणाम है कि जल बोनस की नीति का 2017 में उत्तराखंड के अंदर गर्भपात हो गया, आज उस नीति पर कहीं भी सरकार में चर्चा नहीं हो रही है।

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