देहरादून। उत्तरकाशी के एक दंपति ने अपने छह दिन के बेटे की मौत के बाद उसकी देह मेडिकल कॉलेज को दान कर दी। छह दिन के बच्चे का शरीर चिकित्सा विज्ञान में मेडिकल छात्रों की पढ़ाई के काम आएगा। दिल संबंधी बीमारी के चलते एम्स ऋषिकेश में बच्चे का निधन हो गया था।
देश में यह सबसे कम उम्र के बच्चे के देहदान का दूसरा मामला है, दिसंबर 2023 में ही दून में हरिद्वार की ढाई दिन की बच्ची के शरीर को दून मेडिकल कॉलेज में दान किया गया था। उत्तरकाशी के गांव अदनी रोनथाल निवासी पेशे से चालक मनोज लाल की पत्नी विनीता ने छह जनवरी को बेटे को जन्म दिया। सात जनवरी को बच्चे को सांस में दिक्कत होने पर उसे एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया, लेकिन शनिवार को हृदय गति रुकने के कारण छह दिन के बच्चे का निधन हो गया।
ग्राफिक एरा मेडिकल कॉलेज के एनॉटमी के एचओडी डॉ. रजत कृष्णा रोहतगी ने बताया कि बच्चे के शव को फोरमलीन नामक केमिकल से संरक्षित रखा जाएगा। शव को लंबे समय तक संरक्षित रखा जा सकता है। एनॉटमी में फीटल्स, असामान्य बच्चों के लिए अलग म्यूजियम होता है। बच्चे के शव को म्यूजियम में रखा जाएगा।
अंतिम संस्कार के लिए परिवार ने मुक्तिधाम समिति के सेवादार और नेत्रदान कार्यकर्ता अनिल कक्कड़ से संपर्क किया। कक्कड़ ने परिवार को बताया कि छोटे बच्चों का अंतिम संस्कार प्राय: नहीं किया जाता और उन्हें जमीन में दफनाया या गंगा में प्रवाहित किया जाता है। गंगा में गहरी आस्था रखने वाले पिता ने गंगा प्रवाह के स्थान पर कोई और विधि पूछी। कक्कड़ ने उन्हें देहदान के बारे में प्रेरित किया, जिस पर मनोज लाल और विनीता ने सहमति दी। लायंस क्लब के अध्यक्ष गोपाल नारंग ने मोहन फाउंडेशन के उत्तराखंड प्रोजेक्ट लीडर संचित अरोड़ा से संपर्क किया। उनकी मदद से कागजी कार्रवाई पूरी की गई और ग्राफिक एरा मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभागाध्यक्ष डॉक्टर आरके रोहतगी को बच्चे का शरीर सौंपा गया। इस दौरान लायन मनमोहन भोला, संचित अरोड़ा, जितेंद्र आनंद और अनिल कक्कड़ मौजूद रहे।