वरिष्ठ लेखक और प्रसिद्ध इतिहासकार तारा चंद्र त्रिपाठी के साहित्य पर केंद्रित कार्यक्रम में उमड़े लेखक और साहित्य से जुड़े लोग

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हल्द्वानी। वरिष्ठ लेखक और प्रसिद्ध इतिहासकार तारा चंद्र त्रिपाठी के साहित्य पर केंद्रित आयोजन बिजी बीज सिंथिया स्कूल, हलद्वानी में आयोजित किया गया।

क्रिएटिव उत्तराखंड और समय साक्ष्य द्वारा आयोजित कार्यक्रम में नैनीताल समाचार के संपादक राजीव लोचन साह, पूर्व शिक्षक कपिलेश भोज, इतिहासकार प्रयाग दत्त जोशी और कवयित्री कल्पना पंत ने त्रिपाठी जी के साहित्य पर चर्चा की। कार्यक्रम का संचालन हेमंत बिष्ट और प्रदीप उपाध्याय ने संयुक्त रूप से की। इस अवसर पर लेखन के छह दशक पूर्ण कर चुके 87 वर्षीय त्रिपाठी जी का सभी उपस्थित लोगों की ओर से नागरिक अभिनंदन भी किया गया।

शिक्षा, साहित्य, समाज, इतिहास और पुरातत्व जैसे विभिन्न विषयों पर त्रिपाठी जी के साहित्यकर्म पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई। राजीव लोचन साह ने अपने शिक्षक के रूप में और अपने पत्रकारिता कैरियर को आगे बढ़ाने में त्रिपाठी जी के समर्थन को याद किया। कपिलेश भोज ने पुराने समय के नैनीताल के रचनात्मक माहौल में त्रिपाठी जी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा कि त्रिपाठी जी ने एक अध्येता के रूप में पहाड़ से लेकर वैश्विक स्तर पर अपने शोध को आगे बढ़ाया। श्रीमती कल्पना पंत ने पिता के रूप में त्रिपाठी जी के व्यक्तिगत जीवन के पहलुओं को बताया। त्रिपाठी जी के हमउम्र साथी प्रयाग दत्त जोशी ने त्रिपाठी जी की युवावस्था की यात्राओं और शोध पर संस्मरण सुनाए।
द्वितीय सत्र में तारा चंद्र त्रिपाठी से साक्षात्कार के रूप में हेमंत बिष्ट ने उनकी जीवनयात्रा पर बातचीत की। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने भी त्रिपाठी जी से आध्यात्म, यात्रा, इतिहास और लोक संस्कृति पर सवाल – जवाब किए।

इस अवसर पर डॉ. शेखर पाठक, डॉ. ललित उप्रेती, जगदीश जोशी, प्रभात उप्रेती, हेम पन्त, दयाल पांडे, हिमांशु पाठक, मंजू पांडे, डॉ. सी. एस. नेगी, डाॅ प्रविन्द्र रौतेला, प्रदीप पांडे, प्रो. अनिल जोशी, मदन बिष्ट, उमेश तिवारी, दीपक जोशी, पलाश विश्वास, दिनेश पंत, अमृता पांडे, हरीश पंत, बसंत पांडे, उमेश तिवारी, गणेश जोशी, पीयूष, रूपेश, त्रिभुवन बिष्ट, दामोदर जोशी, डॉ. ललित रखौलिया, डॉ. अशोक उप्रेती, जगमोहन रौतेला, डॉ. मुकेश कोहली आदि उlपस्थित थे।

तारा चंद्र त्रिपाठी जी की प्रकाशित किताबें – आँखिन की देखी, मध्य हिमालय – भाषा, लोक और स्थान नाम, कोहरे के आर-पार, शब्द भाषा और विचार, हिस्टोरिकल ज्योग्राफी, प्रधानाध्यापिकी के 11 वर्ष आदि।

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