ओमान का उच्चायुक्त बताकर वीआईपी सुविधाएं लेने वाले कुमाऊं विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति गिरफ्तार

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गाजियाबाद। ओमान का उच्चायुक्त बताकर वीआईपी सुविधाएं लेने वाले कुमाऊं विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति को कौशांबी थाना पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपी चार विश्विद्यालयों का कुलपति रह चुका है और वर्तमान में इंडिया जीसीसी ट्रेड काउंसिल नाम के एनजीओ का ट्रेड कमिश्नर है। हालांकि, वह खुद को अंतरराष्ट्रीय संगठन जीसीसी (गल्फ कंट्रीज काउंसिल) से बताकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की आंखों में धूल झोंक रहा था।

डीसीपी ट्रांस हिंडन निमिष पाटिल ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी डॉ. कृष्ण शेखर राणा उर्फ डॉ. केएस राणा दिल्ली के लाजपत नगर-4 में रहता है। वह मूल रूप से आगरा का रहने वाला है। केएस राणा वर्ष 1982 से 2015 तक आगरा विश्विद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत था। वर्ष 2015 में सेवानिवृत्त होने के बाद वर्ष 2018 तक पर्यावरण मंत्रालय की अप्रेजल अथॉरिटी में बतौर सलाहकार काम किया। उसका आगरा में कृष्णा कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और राजस्थान में एक रिसॉर्ट है।

डीसीपी ने बताया कि डॉ. केएस राणा वर्ष 2024 में इंडिया जीसीसी ट्रेड काउंसिल नाम के एनजीओ से जुड़ा। इस एनजीओ का कार्य भारत का गल्फ देशों में व्यापार बढ़ाना है। हालांकि, वह खुद को अंतरराष्ट्रीय संगठन जीसीसी का पदाधिकारी बताता था। सुरक्षा, एस्कॉर्ट और सरकारी भवनों में ठहरने जैसी वीआईपी सुविधाएं लेने के लिए वह ओमान देश का उच्चायुक्त बताता था। वह सुविधाएं लेने के लिए अपने निजी सचिव देव कुमार से वीआईपी प्रोटोकॉल का पत्र जारी कराता था। पुलिस देव कुमार की गिरफ्तारी के लिए दबिश दे रही है। वहीं, डॉ. केएस राणा से एक आईडी कार्ड, 42 विजिटिंग कार्ड, फ्लैशर लाइट, राजदूत की फर्जी नंबर प्लेट और मर्सिडीज कार बरामद हुई।
डीसीपी निमिष पाटिल ने बताया कि डॉ. केएस राणा उच्चायुक्त बताने पर ही पकड़ में आया। दरअसरल, जो देश राष्ट्रमंडल देशों में शामिल है, उनमें राजनयिक का पद उच्चायुक्त का होता है। वहीं, जो देश राष्ट्रमंडल देशों में शामिल नहीं होते, उनमें राजदूत का पद होता है। ओमान राष्ट्रमंडल देशों में शामिल नहीं है, लिहाजा वहां का राजनयिक राजदूत होता है। लेकिन केएस राणा के प्रोटोकॉल पत्र में उसका पद उच्चायुक्त लिखा था, जिसके चलते उस पर शक हुआ। उससे जब पूछताछ की गई तो फर्जीवाड़ा सामने आ गया।

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