देवीधूरा। बाराहीधाम में आयोजित होने वाले बगवाल मेले की अभी से तैयारियां शुरू हो गई है। इस ऐतिहासिक एवं पौराणिक मेले को भव्य व दिव्य रूप दिए जाने के लिए मंदिर कमेटी के अध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट , महामंत्री रोशन लमगड़िया तथा हयात सिंह बिष्ट के संचालन में हुई बैठक में चारखाम सात थोकों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में बगवाल के दिन बगवाल खेलने वाले बगवाली वीरों को परिचय पत्र जारी करने के साथ उन्हें अनिवार्य रूप से ड्रेस कोड का पालन करना होगा। खामों के लोगों को परिचय पत्र की व्यवस्था वालिग खाम के एडवोकेट चेतन भैया द्वारा की जाएगी। मंदिर कमेटी के मुख्य संरक्षक लक्ष्मण सिंह लमगड़िया ने कहा उत्तराखंड में बाराही धाम एकमात्र ऐसा शक्तिपीठ है जहां मां बज्रबाराही का मंदिर है। यहां होने वाले मेले में भगवाल देखने एवं मां की शोभायात्रा में शामिल होने के लिए लाखों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है जिसे देखते हुए सभी को मेले की गरिमा को बनाए रखना होगा। इस वर्ष भी मेले में बाराही मंदिर को फूलों से सजाया जाएगा। खामों के बीच अनुशासन एवं पारंपरिक सहयोग बनाए रखने के लिए सभी खाम प्रमुख इस दिशा में कार्य करेंगे ।
उधर बाराहीधाम में 15 जून से होने वाली भव्य पुराण कथा के दिन महिलाएं आंचलिक परिधानों में कलश यात्रा निकालेंगी तथा उनका कलश पहाड़ों की संस्कृति के अनुरूप एपण से सजा हुआ होगा। कथा के प्रत्येक दिन भंडारा आयोजित किया जाएगा, यदि कोई लोग अपनी ओर से भंडारा करना चाहते हैं तो उन्हें इसकी पूर्व सूचना देनी होगी। चारोंखामों के लोग बारी-बारी से भंडारे की व्यवस्था करेंगे। भंडारे में प्लास्टिक एवं थर्माकोल के थाली और गिलास पूर्ण रूप से प्रतिबंधित होंगे। उनके स्थान पर स्टील की थाली व गिलास की व्यवस्था की जाएगी। 19 जून को यहां महान संत कल्याण दास जी के आगमन पर उनके सम्मान में भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी जिसके लिए सभी लोगों से देवीधूरा पहुंचने की अपील की गई है। यहां कथावाचन के लिए पुराणों के मर्मज्ञ आचार्य प्रकाश कृष्ण शास्त्री आ रहे हैं। कथा के दौरान सेतु आयोग के उपाध्यक्ष राजशेखर जोशी भी यहां आ रहे हैं जिनका भी पारंपरिक रूप से स्वागत किया जाएगा। बैठक में गहढ़वाल खाम के देव सिंह बिष्ट, वालिग खाम के बद्री सिंह बिष्ट, चम्याल खाम के गंगा सिंह चम्याल एवं लमगड़िया खाम के वीरेंद्र लमगड़िया,ग्राम प्रधान ईश्वर बिष्ट, राजेश बिष्ट, चंदन सिंह बिष्ट आदि तमाम लोग मौजूद थे ।






