जैसे-जैसे सपने बढ़ते है, वैसे-वैसे जीवन बढ़ता हैः डॉ. बी. के. एस. संजय

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•आजादी के अमृत महोत्सव में कवि सम्मेलन का आयोजन

•जैसे-जैसे सपने बढ़ते है, वैसे-वैसे जीवन बढ़ता हैः डॉ. बी. के. एस. संजय

देहरादून! (हरिशंकर सिंह )भारत की आजादी के 75वें अमृत महोत्सव की पावन बेला में हिन्दी की गूंज परिवार ने एक आनलाइन कवि सम्मेलन का पद्म श्री डॉ. श्याम सिंह शशि की अध्यक्षता में आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दुनिया के जाने-माने ऑर्थोपीडिक एवं स्पाइन सर्जन पद्म श्री डॉ. भूपेन्द्र कुमार सिंह संजय थे। सर्जरी के अलावा डॉ. संजय को लिखने-पढ़ने का बहुत शौक है। वह एक कवि भी है जिसके बारे में बहुत से लोग अनभिज्ञ एवं अंजान है। कार्यक्रम के संयोजक श्री नरेन्द्र सिंह नीहार और मंच संचालक खेमेन्द्र सिंह थे।

डॉ. संजय के सम्बोधन एवं कविताओं की आयोजकों एवं अन्य सुनने वालों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की। खासतौर से उनकी एक कविता सपने आपके और हमारे जिसकी कुछ पंक्तियां इस प्रकार से है। जैसे-जैसे सपने बढ़ते है, वैसे-वैसे जीवन बढ़ता है/ मैं तो कहूंगा सपनों को बूनो, पालों, पोसो, बढ़ाओं/अपनी पूरी लगन और मेहनत से/ क्योंकि, सपने ही तो भविष्य हैं हमारे और आपका/

कार्यक्रम के अध्यक्ष डॉ. श्याम सिंह शशि एक जाने-माने सामाजिक मानव वैज्ञानिक, साहित्यकार एवं उच्च कोटि के कवि हैं जिनकी लगभग 300 प्रकाशन हो चुके हैं। डॉ. श्याम सिंह शशि को हिन्दी साहित्य क्षेत्र में पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है। इस कार्यक्रम में उन्होंने अपने बाल्य एवं युवावस्था के अनुभव सांझा किये। कार्यक्रम के आयोजक श्री नरेन्द्र सिंह नीहार हिन्दी प्रचार-प्रसार के बहुत बड़े समर्थक हैं उनकी देश बड़ा है कविता उच्च कोटि की श्रेणियों में आती है। कार्यक्रम के संचालक श्री खेमेन्द्र सिंह जो कि एक प्रसिद्ध उद्घोषक हैं। जिन्होंने कार्यक्रम का संचालन सुचारू रूप से किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ भावना अरोड़ा मिलन के सुमधुर कंठ से माँ सरस्वती वंदना से हुआ। कवि सम्मेलन की श्रृंखला में सर्वप्रथम सुभद्रा कुमारी चौहान की कालजयी रचना झाँसी की रानी का अत्यंत प्रभावशाली वाचन करके हल्द्वानी की बेटी गरिमा जोशी ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी…..। राजस्थान से श्री बलराम निगम ने अत्यंत सुदर मुक्तक प्रस्तुत कर देश की माटी को नमन किया।कवि अरविंद पथिक ने आजादी के मतवाले राम प्रसाद बिस्मिल की अमर कहानी सुनाकर स्वतंत्रता सेनानियों की बलिदानी के लम्हों को जीवंत कर दिया।

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