आशा कार्यकर्ता अब आरपार की लड़ाई की तैयारी में, भाजपा सरकार पर उदासीनता का आरोप

ख़बर शेयर करें -

हल्द्वानी। आशाओं को मासिक वेतन और अन्य समस्याओं का समाधान करने के लिए चल रहा आशा आंदोलन जारी है। कहा है कि राज्य की भाजपा सरकार की उदासीनता और असंवेदनशील रवैये के चलते आंदोलन 18 दिन पूर्ण कर चुका है। ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन व सीटू से जुड़ी आशा यूनियन के बैनर तले आशा वर्कर्स संयुक्त रूप से पूरे राज्य में आंदोलन कर रही हैं।
उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल ने कहा कि, “आशाओं ने इतने दिनों तक धैर्यपूर्वक शांतिपूर्ण धरना कर कार्यबहिष्कार हड़ताल की है। लेकिन सरकार की उपेक्षा और उदासीनता से आशा वर्कर्स बेहद रोष में हैं। यदि उत्तराखण्ड सरकार ने यही रवैया जारी रखा और आशाओं के मासिक मानदेय को फिक्स करने पर शीघ्रता से फैसला न लिया तो आशाएँ उग्र आंदोलन पर मजबूर होंगी।”
यूनियन महामंत्री डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “प्राथमिक रूप से मातृ शिशु सुरक्षा के लिए तैनात की गई आशाओं को आज कोविड से लेकर पल्स पोलियो, टीकाकरण, परिवार नियोजन, डेंगू, मलेरिया, ओआरएस बांटने और तमाम सर्वे व अभियानों में लगाया जा रहा है। आशाओं के पास अपने परिवार तक के लिए फुर्सत नहीं है लेकिन सरकार एक रुपया भी मासिक वेतन तो छोड़िए मानदेय के नाम पर देने को तैयार नहीं है और कभी उपहार कभी प्रोत्साहन राशि के नाम पर बरगलाने की कोशिश कर रही है। यह नहीं चलेगा।”
18 वें दिन के कार्यबहिष्कार धरने में महिला हॉस्पिटल हल्द्वानी में यूनियन अध्यक्ष कमला कुंजवाल, महामंत्री डॉ कैलाश पाण्डेय, भगवती बिष्ट, रिंकी जोशी, पुष्पलता, माया टंडन, शिव कुमारी, रेनू, किरन पलड़िया, सायमा, सलमा, चम्पा, रजनी, ललिता उप्रेती, गीता देवी, मीना केसरवानी, प्रीति, सुनीता, रेखा गड़िया, कमरुन्निशा, ललिता देवी, मीना, गंगा साहू, अनिता, सावित्री, अर्शी,सहित बड़ी संख्या में आशा वर्कर्स मौजूद रहीं।

Ad