देहरादून। अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से सटे उत्तराखंड में केंद्र के सहयोग से भारतमाला समेत विभिन्न योजनाओं के तहत मुख्य सड़कों को दुरुस्त किया जा रहा है। अब लिंक मार्गों को सुधारने पर भी फोकस किया गया है। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) में तमाम कारणों से अधर में लटकी 127 सड़कों और विभिन्न क्षेत्रों में बन चुकी अथवा निर्माणाधीन सड़कों पर 142 पुलों के निर्माण के लिए मार्च तक 1080 करोड़ रुपये की सौगात राज्य को मिल सकती है।
केंद्र की सैद्धांतिक स्वीकृति के बाद अब राज्य सरकार ने इसका प्रस्ताव भेज दिया है। अपर सचिव उदयराज सिंह ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि केंद्र ने इन सड़कों व पुलों के प्रस्तावों का तकनीकी परीक्षण भी शुरू कर दिया है। विषम भूगोल और 71.05 फीसद वन भूभाग वाले उत्तराखंड में ग्रामीण क्षेत्रों को सड़क सुविधा से जोडऩे में पीएमजीएसवाई की महत्वपूर्ण भूमिका है। बावजूद इसके पीएमजीएसवाई में स्वीकृत 127 सड़कें ऐसी थीं, जिनके प्रस्तावों को केंद्र ने बाद में रद कर दिया था। इसकी वजह कहीं वन भूमि हस्तांतरण न हो पाना था तो कहीं दूसरे कारण बाधक बन रहे थे। यही नहीं, गढ़वाल व कुमाऊं मंडलों में बड़ी संख्या में ऐसी सड़कें भी हैं, जो या तो बन चुकी हैं अथवा निर्माणाधीन हैं, मगर इनका लाभ स्थानीय निवासियों को नहीं मिल पा रहा है। कारण ये कि इन सड़कों पर पडऩे वाली नदियों पर बनने वाले 142 पुलों की स्वीकृति ही नहीं थी।
इस सबको देखते हुए प्रदेश सरकार ने इन सड़कों व पुलों को लेकर केंद्र में दस्तक दी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यह मसला केंद्र के समक्ष रखने के साथ ही केंद्रीय ग्राम्य विकास मंत्री को पत्र भी लिखे। इस सबका असर ये रहा कि केंद्र सरकार ने इन सड़कों व पुलों के निर्माण को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी।अब शासन ने इन सड़कों व पुलों के निर्माण के मद्देनजर डीपीआर तैयार कर केंद्र को भेज दी है। उम्मीद जताई जा रही है कि अब जल्द ही केंद्र से प्रशासनिक व वित्तीय स्वीकृति मिलने के साथ ही मार्च तक यह राशि भी राज्य को उपलब्ध हो जाएगी। इन सड़कों व पुलों का निर्माण होने पर तीन सौ से अधिक गांव लाभान्वित होंगे।