*गिरीश जोशी*
हल्द्वानी। उत्तराखंड में पांच महीने के भीतर विधान सभा चुनाव हैं। कांग्रेस नेता पांच साल बाद फिर एक बार सत्ता में वापस आने का दावा करने लगे हैं। पार्टी की गुटबाजी अभी भी चरम पर है। अब गुटों के मात्र नेता बदले हैं। हल्द्वानी में कांग्रेस मुख्यालय स्वराज आश्रम कल फिर इस गुटबाजी का गवाह बना।
उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष डा इंदिरा ह्रदयेश के निधन के बाद माना रहा था, कि अब कांग्रेस एकजुट रहेंगी। कुछ दिन तक सबकुछ ठीक ठाक रहा। बाद में राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत गुट के साथ ही रावत विरोधियों ने अब नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह की अगुवाई में दूसरे गुट को मजबूत करने में जुट गए। इस गुट में सबसे मजबूत होकर उभरे हैं कांग्रेस के उत्तराखंड कै कार्यकारी अध्यक्ष रंजीत रावत। रंजीत रावत कार्यकारी अध्यक्ष बनते ही सबसे पहले हरीश रावत पर निशाना साधा। कहे कि कुछ लोग मुझे कांग्रेस पार्टी से बाहर करने की ताकत लगा रहे थे, मगर हाई कमान ने उत्तराखंड प्रदेश का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस को मजबूत करने का जिम्मा सौंप दिया। यह बयान रंजीत रावत अब हर वक्त कहने लगे हैं। कभी हरीश रावत के सबसे खास माने जाने वाले रंजीत रावत अब प्रीतम खेमे में दम खम से जमे हैं।
हरीश रावत के दूसरे सबसे नजदीकी धारचूला के विधायक हरीश धामी जिला प्रभारी बनकर स्वराज आश्रम में पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की बैठक लेने पहुंचे। हरीश धामी के सामने ही कार्यकर्ता पूर्व सीएम हरीश रावत व कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत के खेमों में बंटे साफ नजर आए। सल्ट उपचुनाव की चर्चा के साथ जब हरीश रावत का नाम लिया गया तो उनके समर्थकों ने रणजीत रावत के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। जिसके बाद माहौल और गरमा गया। कार्यकारी अध्यक्ष के समर्थक भी जोश में आ गए। उन्होंने रणजीत के पक्ष में नारेबाजी शुरू कर दी। मंच से लेकर गेट तक यह चलता रहा। इस बैठक में बोले ही हरीश रावत ईए समथॅक ज्यादा थे, मगर गुटबाजी साफ दिखाई दे रही थी। बैठक खत्म होने के बाद भी कांग्रेस नेता अलग-अलग गुटों में दिखाई दिए। बैठक में नारेबाजी के बीच माइक से बोलते हुए रणजीत सिंह रावत ने कहा कि तुम आवाज दबाने की कोशिश कर रहे हो लेकिन दबने वाले हम भी नहीं है। और न दबे हैं आज तक। गलतफहमी मत पालो।
कुमाऊँ की व्यापारिक मंडी हल्द्वानी में जहां हरीश रावत के खास रहे रंजीत रावत ने मोर्चा संभाल रखा था, वहीं राजधानी देहरादून में हरीश रावत कैंप के खास समझे जाने वाले कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने भी नया मोर्चा खोल दिया श्री उपाध्याय ने कहा कि 2017 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में हार के बाद मेरे से इस्तीफा ले लिया गया, मगर अन्य लोगों की जिम्मेदारी तय नहीं हुई। किशोर उपाध्याय नै भी तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत की ओर इशारा किया था।
इधर कांग्रेस के महामंत्री संगठन मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि कांग्रेस बङा परिवार है। हल्द्वानी स्वराज आश्रम में कायॅकताॅ अपने नेता के पक्ष में नारेबाजी कर रहे थे। उत्साहित समर्थकों की नारेबाजी को गुटबाजी से नहीं जोङा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के बयान को गलत लिया लिया जा रहा है।