*जागेश्वर विधानसभा: पाँचवी दफा चुनाव में उतरे कुंजवाल का मुकाबला पुराने चेले से*

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  1. अल्मोङा। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल का गढ माना जाने वाले उत्तराखंड की जागेश्वर विधानसभा सीट गांवों की विधानसभा है। खास बात यह है कि इस विधानसभा में एक भी नगर पालिका या नगर पंचायत नहीं है। पिछले बीस साल से इस सीट पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोविंद सिंह कुंजवाल का कब्जा है। श्री कुंजवाल की लोकप्रियता के चलते भाजपा आज तक इस सीट पर जीत का स्वाद नहीं चक पाई है। इस बार भारतीय जनता पार्टी ने पुराने कांग्रेसी व कभी गोविंद सिंह कुंजवाल के खास रहे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मोहन सिंह मेहरा को प्रत्याशी बनाया है। 76 वर्षीय गोविंद सिंह कुंजवाल इस चुनाव को अंतिम चुनाव बताकर मतदाताओं की सहानुभूति बटोर रहे हैं। बताया गया है कि इस सीट पर भाजपा वोट बैंक तो है, मगर कुंजवाल के कद के सामने भाजपा को हार का ही मुंह देखना पङता है।

विकट भौगोलिक संरचना वाली पर्वतीय क्षेत्र की ये विधानसभा सीट ग्रामीण इलाकों की सीट है. विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर मंदिर इसी विधानसभा क्षेत्र के तहत आता है। इस विधानसभा सीट के अंतर्गत दो विकासखंड धौलादेवी और लमगड़ा आते हैं। अल्मोड़ा विधानसभा सीट के भैसियाछान विकासखंड के दो बूथ भी इसी विधानसभा क्षेत्र के तहत आते हैं. ये विधानसभा क्षेत्र सड़क मार्ग के जरिए अन्य इलाकों से जुड़ा है।
जागेश्वर विधानसभा सीट के इलाके पहले अल्मोड़ा बारामंडल विधानसभा सीट के तहत ही आते थे। उस दौर में ये जिले का सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र हुआ करता था लेकिन अलग राज्य गठन के बाद इस सीट का परिसीमन हो गया. परिसीमन के बाद जागेश्वर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई. राज्य गठन के बाद इस विधानसभा सीट के लिए अब तक चार बार चुनाव हो चुके हैं. जागेश्वर विधानसभा सीट से हर चुनाव में कांग्रेस के गोविंद सिंह कुंजवाल ने हर चुनाव में जीत हासिल की है। जागेश्वर विधानसभा सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. इस सीट पर कमल खिलाने में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अब तक नाकाम रही है। जागेश्वर विधानसभा सीट से 2017 के विधानसभा चुनाव में कुल चार उम्मीदवार मैदान में थे लेकिन मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही रहा. जागेश्वर विधानसभा सीट से कांग्रेस के गोविंद सिंह कुंजवाल ने बीजेपी की लहर में भी अपनी सीट बचा ली। कांग्रेस के गोविंद सिंह कुंजवाल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के सुभाष पांडेय को करीबी मुकाबले में 399 वोट के अंतर से हरा दिया. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के तारा दत्त पांडेय तीसरे स्थान पर रहे थे। जागेश्वर विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो यहां हर जाति-वर्ग के मतदाता रहते हैं. चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक जागेश्वर विधानसभा क्षेत्र में कुल करीब एक लाख मतदाता हैं. जागेश्वर विधानसभा सीट के जातिगत समीकरणों की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र की गिनती ठाकुर बाहुल्य विधानसभा सीटों में होती है. अनुसूचित जाति और जनजाति के साथ ही ब्राह्मण मतदाता भी इस विधानसभा सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
जागेश्वर विधानसभा सीट से विधायक कांग्रेस के गोविंद सिंह कुंजवाल का जन्म 25 मई 1945 को अल्मोड़ा जिले के तल्ला सालम में हुआ था. गोविंद सिंह कुंजवाल ने राजकीय इंटर कॉलेज अल्मोड़ा से इंटरमीडिएट तक पढ़ाई की है. कुंजवाल ने साल 1982 में लमगड़ा ब्लॉक का ब्लॉक प्रमुख निर्वाचित होकर अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी। गोविंद सिंह कुंजवाल 1987 में फिर से लमगड़ा के ब्लॉक प्रमुख बने। 1993 में अविभाजित राज्य के अल्मोड़ा बारामंडल विधानसभा सीट से विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए।
उत्तराखंड राज्य गठन के बाद जागेश्वर विधानसभा सीट अस्तित्व में आई और पहले चुनाव से अब तक गोविंद सिंह कुंजवाल का विजय रथ चला आ रहा है। वे एनडी तिवारी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री भी रहे थे। हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार के समय गोविंद सिंह कुंजवाल विधानसभा के स्पीकर रहे थे। कुंजवाल का दावा है कि उनके कार्यकाल में विधानसभा की तस्वीर बदली है। कांग्रेस सरकार में तहसीलों का गठन करने के साथ ही डिग्री कालेज, कई इंटर कॉलेज व सङकों का जाल बिछाया गया। इस चुनाव में भी श्री कुंजवाल ने भाजपा के कई युवा नेताओं को कांग्रेस में शामिल कराकर शुरुआती बढ़त जरूर बढा ली है। कहा जा रहा है की 2017 में भाजपा ने मात्र 399 वोटों से हारे भाजपा प्रत्याशी का टिकट काटकर मोहन सिंह मेहरा को प्रत्याशी बनाया है।

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