पिथौरागढ़। तुर्की तथा बुलगारियां की तरह चीन सीमा से लगे सीमांत तहसील मनस्यारी के 14 गांवो को गुलाब की खेती का हब बनाए जाने की तैयारियां शुरू हो गई है। सगंध पौध (कैप) के विशेषज्ञ ने महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को गुलाब की खेती के बारे में तकनीकी जानकारी दी। बाजार में गुलाब के तेल, जल तथा पंखुड़ियों की ब्रिकी की मांग पर भी नई जानकारियां साझा की।
विकासखंड के सभागार में जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में जिला पंचायत सरमोली वार्ड के 14 गांव को मौसम तथा समुद्र की सतह से ऊंचाई के आधार पर चयनित किया गया है।
बैठक में सुगंध पौध (कैप) की फील्ड तकनीकी सहायक एवं जिला प्रभारी विजय बमौला ने मुनस्यारी में गुलाब की खेती की संभावनाओं को लेकर जानकारियां साझा की। बमौला ने बताया कि मौसम को देखते हुए मुनस्यारी का इलाका गुलाब की खेती के लिए उत्तराखंड में सबसे बेहतरीन क्षेत्र है।
गुलाब की खेती को करते हुए क्षेत्र के लोग अपनों को आजीविका के क्षेत्र में और मजबूत कर सकते है।
उन्होंने बताया कि दुनियां के देशों में तुर्की, बुलगारिया सहित कई देशो ने गुलाब की खेती को अपनी मुख्य आजीविका का आधार बना चुके है। इसकी संभावनाएं यहां भी नजर आती है।
अत्यधिक हिमपात वाले क्षेत्रों में पैदा होने वाले गुलाब की खेती की मांग और उससे होने वाले उत्पादों की मांग पूरी दुनिया में सबसे अधिक है।
उन्होंने कहा कि आधारित खेती को बढ़ावा देने के लिए कार्य कर रही है। एक नाली भूमि में 54 पौधों का रोपण किया जाता है। इससे ही एक किसान प्रतिवर्ष बीस हजार रुपए की न्यूनतम आय हासिल कर सकता है।
उन्होंने कहा कि गुलाब की खेती आजीविका के क्षेत्र में इतिहास का एक नया पन्ना जोड़ा जा सकता है।
जिला पंचायत सदस्य मर्तोलिया ने कहा कि गुलाब की खेती के लिए महिला स्वयं सहायता समूह के साथ अब ग्राम स्तर पर विकासखंड के कर्मचारियों के साथ बैठक करके इस योजना को धरातल में लाने का प्रयास तेज करेंगे।
उन्होंने कहा कि आने वाली 10 वर्षों के भीतर मुनस्यारी के इन गांवों को आजीविका के क्षेत्र पर अपने पैरों पर खड़ा करने की कोशिश लगातार जारी रहेगी। महिला स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने कैप के विशेषज्ञ से इस संदर्भ में कई जानकारियां प्रश्न के रूप में पूछ कर इस बैठक की सार्थकता को नहीं उड़ान दी गई।