काशीपुर। प्रदेश के पंचायत राज एवं ग्रामीण निर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के रामराज्य का स्वप्न तभी पूरा होगा जब पंचायतें सशक्त और आत्म निर्भर होने के साथ-साथ सुदूर गांव में अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति को विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल पायेगा।
राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस के अवसर एक स्थानीय होटल में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में प्रदेश के पंचायत राज एवं ग्रामीण निर्माण मंत्री सतपाल महाराज ने बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस अवसर पर सभी जनपदों से आये पंचायत प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए पंचायतीराज मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के राम राज्य का स्वप्न तभी पूरा होगा जब पंचायतें सशक्त और आत्म निर्भर होने के साथ-साथ सुदूर गांव में अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति को विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल पायेगा। उन्होने कहा कि गांव की मजबुत ग्राम सभा “अमृत काल में सिद्वि का संकल्प” के माध्यम से ग्रामोदय से राशष्ट्रोदय की दिशा में आगे बढ़ने में समर्थ होगी। श्री महाराज ने कहा कि सतत् विकास लक्ष्य-2030 के एजेण्डे की प्राप्ति में भी पंचायतों की महति भूमिका है। पंचायतें जितना अधिक सशक्त होंगी, सतत् विकास लक्ष्य के उद्देश्यों को हासिल करने की राह उतनी ही आसान होगी। गांवों के विकास के माध्यम से ही पूरे देश का विकास सम्भव है। उन्होंने राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस के अवसर पर काशीपुर, ऊधमसिंहनगर में समारोह का पर हर्ष व्यक्त करते हुए समारोह में उपस्थित पंचायत प्रतिनिधियों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनन्दन किया। पंचायत राजमंत्री ने समाज कल्याण मंत्री चंदन रामदास से यह भी अनुरोध किया है कि पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए वृद्धावस्था एवं अन्य पेंशनों के मामले में न्यूनतम आय सीमा को बढ़ाकर 6000 रूपये करें ताकि पात्र व्यक्तियों को इसका लाभ मिल सके।
कैबिनेट मंत्री श्री महाराज ने राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस के आयोजन के संदर्भ में विशेष रूप से उल्लेख करते हुए कहा कि 73वें संविधान संशोधन अधिनियम को 24 अप्रैल 1992 को महामहिम राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित किया गया। इसी के दृष्टिगत केन्द्र सरकार द्वारा 24 अप्रैल 2010 को पहला पंचायतीराज दिवस घोषित किया गया। तब से निरन्तर हर वर्ष 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि 73वें संविधान संशोधन के जरिये ही पंचायतों को संवैधानिक दर्जा देते हुए उन्हें सामाजिक एवं आर्थिक विकास की योजनाएं बनाने का अधिदेश प्राप्त हुआ है। साथ ही लोकतांत्रिक इकाई के रूप में ग्राम सभाओं को रखा गया है। संशोधन के माध्यम से त्रिस्तरीय पंचायतीराज प्रणाली अस्तित्व में आई है तथा पंचायतों को स्वायत्तशासी निकाय के रूप में मान्यता मिली है। इसके अलावा भारतीय संविधान में एक नयी 11वीं अनुसूची में 29 विषयों को जोडा गया हैै, जिसके अनुसार पंचायतों को व्यवस्थित करने के लिए राज्य कदम उठाएगा और उन्हें उन आवश्यक शक्तियों और अधिकारों से विभूषित करेगा जिससे कि वह शासन की इकाई की तरह कार्य करने में सक्षम हों।
आज पंचायतीराज दिवस के उपलक्ष्य में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जम्मू कश्मीर के सांबा जिले की पल्ली ग्राम पंचायत से राष्ट्र की समस्त पंचायतों को वर्चुअली सम्बोधित किया और डिजिटल माध्यम से राष्ट्रीय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कारों से पुरस्कृत पंचायतों को पुरस्कार की धनराशि उनके खातों में हस्तांतरित की।
राष्ट्रीय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार योजना के अन्तर्गत दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार के अन्तर्गत राज्य की 05 ग्राम पंचायतों को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तिकरण पुरस्कार के लिए श्रीमती मधु चौहान, जिला पंचायत अध्यक्ष, देहरादून, प्रदीप रमोला, प्रमुख, क्षेत्र पंचायत, प्रताप नगर, टिहरी, श्रीमती रीता पंवार, प्रमुख, क्षेत्र पंचायत, पुरोला, उत्तरकाशी, अनुराग चौहान, ग्राम पंचायत विकास अधिकारी, औरंगाबाद, बहादराबाद, हरिद्वार, प्रकाश सिंह रावत, ग्राम पंचायत मंज्याली, नौगांव, उत्तरकाशी, नीरज पयाल, प्रधान, ग्राम पंचायत, कोठार, यमकेश्वर, पौडी, सुरेन्द्र सिंह रावत, प्रधान, ग्राम पंचायत, पैंसर, मोरी, उत्तरकाशी, श्रीमती तबसुम इमरान, प्रधान ग्राम पंचायत केदारखाला, विकासनगर, देहरादून को पुरस्कृत किया गया।
नानाजी देशमुख राष्ट्रीय गौरव ग्राम सभा पुरस्कार एवं बाल हितैषी पुरस्कार भी श्रीमती तबसुम इमरान, प्रधान ग्राम पंचायत केदारखाला, विकासनगर, देहरादून को दिया गया। जबकि ग्राम पंचायत विकास योजना पुरस्कार के लिए प्रकाश सिंह रावत, ग्राम पंचायत मंज्याली, नौगांव, उत्तरकाशी को पुरस्कृत किया गया।
राज्य की सभी ग्राम पंचायतों में राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस के अवसर पर संभाओं का आयोजन किया गया जिसमें प्रधानमंत्री जी का सम्बोधन सुना गया तथा ग्राम सभाओं में पंचायतों के सशक्तिकरण, बुनियादी अवसंरचनाओं का निर्माण, आधुनिकीकरण, पारदर्शिता, जवाबदेही, सुषासन, सभी वर्गों के लिए कल्याणकारी कार्यक्रम, सामाजिक आर्थिक विकास की योजनाओं पर चर्चा एवं विचार विमर्श करते हुए पंचायतें के विकास का खाका तैयार किया गया। उल्लेखनीय है कि त्रिस्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था के अन्तर्गत पंचायतों को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने हेतु उन्हें प्रोत्साहित करते हुए उनमें प्रतिस्पर्धा की भावना जगाने के लिए पंचायतीराज मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2010 से राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस के अवसर पर पुरस्कृत किये जाने हेतु पंचायत सशक्तीकरण पुरस्कार योजना लागू की गई।