*उत्तराखंड अनुसूचित आयोग को खनन के मामलों में दखल का अधिकार नहीं: हाईकोर्ट*

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नैनीताल । उत्तराखण्ड हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि उत्तराखंड अनुसूचित आयोग को खनन मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने याचिकर्ता को खनन कार्य प्रारंभ करने की अनुमति प्रदान करने के आदेश जारी किए हैं । हल्द्वानी निवासी राजेंद्र सिंह दफोटी संचालक जेडी मिनरल्स द्वारा दाखिल याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकल पीठ ने जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को निर्देश दिया है कि याचिकर्ता के पक्ष में शासन द्वारा 50 साल के लिए 17.967 हैक्टर भूमि में 12 नवंबर 2021 को हुए लीज पट्टा के पैजीकरण के क्रम में खड़िया खनन हेतु याचिका कर्ता  को अनुमति प्रदान करें।
याचिका में कहा गया था कि जेडी मिनरल्स के पक्ष में शासन द्वारा 23 सितंबर 2021 के द्वारा जनपद पिथौरागढ़ तहसील मुनस्यारी के ग्राम बजेता में कुल 17.967 हैक्टर भूमि में सोप स्टोन का खनन पट्टा 50 वर्ष की अवधि के लिए स्वीकृत किया गया । उसके उपरांत 12 नवंबर 2021 को लीज निष्पादित कर दी गई । लेकिन अभी तक याचिकर्ता को वर्क ऑर्डर हेतु जिलाधिकारी द्वारा अनुमति नहीं दी जा रही है।
मामले में आज जिलाधिकारी पिथौरागढ़ हाई कोर्ट के आदेश के क्रम में व्यक्तिगत पेशी हेतु उपस्थित हुए अपने जवाब में जिलाधिकारी द्वारा शपथपत्र पेश कर  कहा  कि उत्तराखंड अनुचित जाति आयोग के आदेश के उपरांत ही खनन कार्य की अनुमति नहीं दी गई है ।उक्त मामले में अंतिम फैसला पारित करते हुए न्यायालय ने कहा  कि अनुसूचित जाति जन जाति आयोग अधिनियम 2003 के अंतर्गत अनुसूचित जाति आयोग को खनन मामलों में दखल का कोई अधिकार नहीं है । अतः याचिकर्ता को खनन हेतु रोकने का आधार औचित्यहीन है। हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी पिथौरागढ़ को आदेशित किया कि याचिका कर्ता को लीज की निर्धारित शर्तो के क्रम में खनन कार्य संपादित करने में अपेक्षित सहयोग सुनिश्चित करें

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