देहरादून। उत्तराखंड के नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के राज्य के उद्योग में के उच्च पदों पर अन्य राज्यों के लोगों की नियुक्ति की घोषणा पर आश्चर्य जताया है। उन्होंने कहा कि आजादी से लेकर आज तक देश के प्रमुख राजनीतिक , प्रशासनिक , सैन्य , न्यायिक सेवाओं और सार्वजनिक उद्यमों के उच्च पदों पर उत्तराखंड के निवासियों ने न केवल देश में बल्कि दुनिया में भी लोहा मनवाया है।
देश भर के उद्योगों में उच्च पदों पर उत्तराखंडी नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं फिर अपने राज्य में क्यों उन्हें काम नहीं मिल रहा है?
श्री आर्य ने कहा कि राज्य के राजनीतिक भाग्य विधाता उद्योगपतियों के इस मासूम उत्तर को कैसे पचा रहे हैं ये बात पच नही रही है। आखिर कौन उत्तराखंड और यंहा के युवाओं के हितों की बात करेगा ?
सभी उद्योग खुले विज्ञापन निकालें फिर पता चलेगा कि कितने उत्तराखंड के योग्य युवाओं के आवेदन आते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि
ऐसी कौन सी उच्च तकनीक है जो उत्तराखंड के लोगों को पता ही नहीं है। कहा है कि मुख्यमंत्री यह मानते हैं कि
उत्तराखंड में शिक्षा का स्तर काफी गिरा हुआ है, फिर इन बाहरी दूसरे राज्य के लोगों के लिए आपका दिल पिघल गया है। उत्तराखंड का शिक्षित बेरोजगार घर बैठा है औऱ आप कहते हैं कि उच्च पदों के लिए उम्मीदवार नहीं मिल रहे। ये उत्तराखंड के लोगों के हकों पर डाका है। यह सिर्फ बाहरियों को उत्तराखंड के लोगों का हक दान करने की कवायद मात्र है।
उच्च पद तो छोड़िए मजदूरों जैसे पदों में भी शासनादेश में वर्णित 70 प्रतिशत नौकरियों पर उत्तराखंड के युवाओं को रखा जाना चाहिए था , पर ऐसा कंही नहीं हो रहा है।
क्योंकि शासनादेश को मनाना उद्योगों के लिए बाध्यता नहीं है । उनके पास बचने के लिए हजार बहाने हैं। इसलिए अगर सरकार वास्तव में कुछ करना चाह रही है तो उद्योगों में 70 प्रतिशत पदों पर स्थानीय निवासियों को नौकरी देने की गारंटी के लिए सरकार को देश के चुनिंदा अन्य राज्यों की तरह शीघ्र अध्यादेश लाये और फिर उस अध्यादेश को विधानसभा में स्थानीय युवाओं को 70 प्रतिशत नौकरी देने संबंधित कानून के रूप में विधानसभा में पास करे। कानून लाएंगे तो उसका पालन न करने वाले उद्योग के लिए सजा का भी प्राविधान होगा।
जब तक कानून नहीं आएगा उद्योग बेलगाम रहेंगे किसी की नहीं मानेंगे।