प्रस्तावित नगर पंचायत में शामिल नहीं होंगे पांच गांव, बनाए रखेंगे गांव का अस्तित्व

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पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ जिले की सीमांत तहसील मुनस्यारी को नगर पंचायत बनाने की दशा में आसपास के पांच गांवों के लोगों ने प्रस्तावित नगर पंचायत में शामिल होने से इंकार कर दिया है। कहा है कि वन पंचायतों तथा नई बस्ती सहित अन्य गांवों के भूमि संबधित मामलों के समाधान नहीं होने तक पांच ग्राम पंचायतों ने नगर पंचायत बनने का विरोध करने का प्रस्ताव पास किया है। कहा कि जबरन ग्राम पंचायतों को भंग किया गया तो वे बस्ता जमा न करके पंचायतों को ही चलायेंगे।
इस बीच प्रस्तावित नगर पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत बूंगा, मल्ला घोरपट्टा, तल्ला घोरपट्टा, सरमोली, जैंती की खुली बैठकों में प्रस्ताव पास किया गया कि वन पंचायतों तथा भूमि के मालिकाना हक से संबंधित मामलों का जब तक हल नहीं हो जाता है तब तक नगर पंचायत जबरन थोपा गया तो उसका पुरजोर विरोध किया जायेगा। बूंगा के प्रधान सुरेंद्र सिंह बृजवाल, सरमोली के प्रधान नवीन राम, जैंती की प्रधान पुष्पा रावत, तल्ला घोरपट्टा के प्रधान कृष्णा सिंह सयाना, मल्ला घोरपट्टा के प्रधान मनोज सिंह मर्तोलिया की अध्यक्षता में हुई बैठक में कहा गया कि इन ग्राम पंचायतों के अपने वन पंचायत है, नगर पंचायत बनने के बाद इनका क्या स्वरुप होगा, इस पर से पर्दा उठाया जाना आवश्यक है।
ग्राम प्रधानों ने कहा कि नई बस्ती सहित इन सभी गांवों में भूमि के मालिकाना हक के मामले लंबे समय से लंबित चल रहे है। जिनका समाधान नगर पंचायत बनने से पहले हो जाना चाहिए।
जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने बताया कि जिला अधिकारी को दो सूत्रीय मुख्य मांगों के संदर्भ में पत्र दिया गया है कि शून्य राजस्व की अदायगी पर जमीनों को फ्री होल्ड कर मालिकाना हक दिया जाएं। उन्होंने कहा कि गरीब परिवार फ़्री होल्ड की मोटी धनराशि नहीं दे सकते है।
उन्होंने कहा कि वन पंचायतों की वर्तमान व्यवस्था को नगर पंचायत में जारी रखने की भी शासन से गारंटी चाहिए।
मर्तोलिया ने कहा कि अगर शासन ने जबरन नगर पंचायत को प्रभावी किया तो पंचायतों की जनता सड़कों में उतर कर आंदोलन करने के लिए बाध्य हो जायेगी।

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