पंचायत प्रतिनिधियों ने उठाई उत्तराखंड को आपदाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने की मांग, आंदोलन की धमकी

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पिथौरागढ़। उत्तराखंड को राष्ट्रीय आपदा क्षेत्र घोषित करने की मांग को लेकर राज्य के त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रतिनिधियों ने आज आंदोलन की धमकी दे दी है। कहा कि बारिश के कहर ने सामुदायिक व्यवस्था को सबसे अधिक प्रभावित किया है।
जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ईमेल से पत्र भेजकर तीन दिनों से लगातार हो रही बारिश से हुए नुकसान को देखते हुए इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की। उन्होंने कहा कि किसानों की फसलें चौपट हो गई है। पहाड़ी क्षेत्रों में पैदल व मोटर मार्ग बदहाल हो गए है।
जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने मुख्यमंत्री का इस ओर ध्यान खींचते हुए कहा कि तीन दिनों की इस बारिश ने राज्य को अरबों रुपए का नुक़सान पहुंचा दिया है। राज्य में धान, तिलहन, दालें, आलू, राजमा तथा जाड़ों के समय के लिए काटकर रखी जाने वाली घास अत्यधिक मात्रा में बारिश होने के कारण खराब हो गई है। इससे किसानों को करोड़ों रुपए की क्षति हुई है।
उन्होंने कहा कि किसानों ने खेती के लिए कृषि लोन लिया था, उसकी अदायगी तो रहा किसानों के पास ब्याज देने के लिए भी सामर्थ्य बची हुई नहीं है। मर्तोलिया ने कहा कि बारिश ने पैदल मार्ग तथा मोटर मार्गों को फिर जर्जर तथा बदहाल स्थिति में ला दिया है। उन्होंने कहा कि सरकारी सम्पत्तियों को भी इस भीषण बारिश से नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि आम जनजीवन को पटरी में लाने के लिए इस आपदा को शीघ्र राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार के। पास प्रस्ताव तैयार कर भेजना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पर्यटन व्यवसायियों की भी कमर इस बारिश ने तोड़ दी है। बारिश के कारण करोड़ों रुपए की बुकिंग टूरिस्टों ने ऐन वक्त पर कैंसिल कर दी है। उन्होंने कहा कि इस बारिश से मजदूर, किसान, व्यवसायियों, दुकानदारों, वाहन स्वामियों को भारी नुक्सान पहुंचा है। मोटर मार्गों के साथ पहाड़ी क्षेत्रों में पैदल मार्गों की दशा सुधारने के लिए आपदा मद से अतिरिक्त बजट की आवश्यकता होगी, इसके लिए राष्ट्रीय आपदा घोषित होना बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो उत्तराखंड के पंचायत प्रतिनिधियों को आंदोलन शुरू करना पड़ेगा।

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