नई दिल्ली। पौड़ी की बिटिया के गुनहगारों के बरी हो जाने के खिलाफ माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है। याचिका में कहा गया है कि मामले से जुड़े कई महत्वपूर्ण तथ्यों को सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं लाया गया और कुछ तथ्यों की गलत व्याख्या की गई।
सात नवंबर को 2012 को पौड़ी निवासी बिटिया के साथ दिल्ली में दरिंदगी के आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था। तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला त्रिवेदी की पीठ ने तीन लोगों को यह कहते हुए बरी कर दिया था कि अभियोजन पक्ष अभियुक्तों की गिरफ्तारी, उनकी पहचान, आपत्तिजनक वस्तुओं की खोज और बरामदगी, मेडिकल और वैज्ञानिक साक्ष्य आदि को साबित नहीं कर पाया। उधर, दिल्ली प्रेस क्लब में प्रवासी उत्तराखंडियों की सोमवार को हुई बैठक में इस मामले को लेकर मंगलवार केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू को ज्ञापन देने का निर्णय लिया गया। इस मौके पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने छावला कांड की पीड़िता और उत्तराखंड की अंकिता भंडारी हत्याकांड में केंद्र और राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए।