हरिद्वार। हरिद्वार में चर्चित बच्चे के अपहरण के मामले का खुलासा हो गया है कर्ज चुकाने के लिए अधेड़ उम्र की महिला सुषमा ने मासूम शिवांग के अपहरण का फूलप्रूफ ताना-बाना बुना था, लेकिन हरिद्वार पुलिस की सक्रियता से उसका पूरा प्लान फ्लॉप हो गया। इस अपराध में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्री की हिम्मत जवाब दी गई, जिसके बाद पुलिस को उन तक पहुंचने में चंद मिनट भी नहीं लगे।
अनसुलझे दिखाई दे रहे मासूम शिवांग अपहरणकांड की गुत्थी सुलझाने में एक स्थानीय पत्रकार ने भी अहम भूमिका निभाई, जिसकी भूमिका की पुलिस अफसर भी सराहना कर रहे हैं। मासूम शिवांग अपहरणकांड की पटकथा एक माह पूर्व गढ़ ली गई थी। सुषमा ने कुछ माह पूर्व अपनी बेटी की शादी की थी, जिसके चलते वह कर्ज के बोझ तले दबी हुई थी। उसने अपनी व्यथा समधन अनीता के साथ साझा की थी। समधन से मोहल्ले की ही आंगनबाड़ी कार्यकत्री, आशा ने एक निसंतान दंपति की सूनी गोद भर देने की बदौलत ठीकठाक रकम मिलने की बात बताई अनीता की आंखें चौंधिया गई। अनीता ने जब किसी मासूम की बदौलत रकम मिलने की बात अपनी समधन सुषमा से कही, तब तपाक से सुषमा ने पड़ोसी रविंद्र के बेटे शिवांग के अपहरण का ताना-बाना बुन डाला। बकौल पुलिस करीब एक माह से सुषमा अपने मकसद में कामयाब होने के लिए हाथ पांव पटक रही थी, आखिर में उसने अपनी गोद ली हुई बेटी किरण की मदद से शिवांग का अपहरण कर लिया। सुषमा को पूरा यकीन था कि रविंद्र और उसकी पत्नी बेटे की खोजबीन के लिए चंद दिन हाथ पांव मारने के बाद थकहार बैठ जाएंगे, इसलिए वह भी उनके दुख में शरीक होने का ड्रामा बखूबी रच रही थी।
लेकिन, शनिवार को शिवांग अपहरणकांड का खूब हो हल्ला हुआ तब आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकत्री सहम गए। उन्होंने एक स्थानीय पत्रकार से जब मासूम उनके कब्जे में होने की बात साझा की, उसके बाद ही पुलिस इस बेहद पेचीदी दिख रही कहानी को सुलझाने में कामयाब रही।
आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्री को मिलने थे एक-एक लाख मासूम का सौदा पूरे ढाई लाख में हुआ था। मास्टर माइंड सुषमा को उसके हिस्से के पचास हजार रुपए मिल गए थे लेकिन आशा और आंगनबाड़ी कार्यकत्री को अभी दो लाख की रकम मिलना शेष थी। उनके हिस्से में एक-एक लाख की रकम आनी थी। अगर शिवांग के अपहरण को लेकर पुलिस इतनी सक्रियता न दिखाती तब खरीदार संजय दो लाख की रकम भी देने वाला था।
अपर रोड पर रेडीमेड गारमेंटस की दुकान संचालित करने वाले संजय से जब पुलिस ने पूछताछ की तो वह बोला कि बच्चे का अपहरण किया गया है, इसका इल्म उसे नहीं था। उसने बताया कि दूसरी शादी के बाद भी संतान सुख से वंचित होने कारण वह बच्चा गोद लेना चाहता था। इस तरह बच्चा गोद लेने की बात पूछी तब वह कोई जवाब न दे सका।
शिवांग अपहरणकांड को बेहद ही गंभीरता से लिया गया था। पुलिस का मकसद केवल मासूम को बरामद करना था। दंपति की खुशी लौटा देने से बड़ी कोई दूसरी खुशी नहीं हो सकती है। हरिद्वार पुलिस का मकसद हर पीड़ित को न्याय दिलाना है।
अपने लाडले को सुरक्षित पाकर रविंद्र और उसकी पत्नी राखी बार-बार पुलिस अफसरों को शुक्रिया अदा करते रहे। मासूम का घर से अपहरण की घटना को एसएसपी अजय सिंह ने बेहद गंभीरता से लिया था। देर रात एक बजे तक एसएसपी खुद कोतवाली कैंपस में डेरा डाले हुए थे और पल-पल की रिपोर्ट ले रहे थे। एसएसपी अजय सिंह ने जब दंपति से बेटे के पूरी तरह से सुरक्षित होने की बात पूछी तब दंपति की आंखों से अश्रुधारा बह उठी। वे बार-बार एसएसपी के आगे हाथ जोड़कर शुक्रिया अदा करते रहे।