दानवीर ईश्वरी लाल: स्कूल में खेल मैदान को बकरी बेचकर दान में दे दिए ढाई लाख रुपए

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बागेश्वर। जिस गांव में जन्म लिया उस गांव में बच्चों के लिए अच्छा खेल मैदान नहीं होने की पीड़ा करुली के ईश्वरी लाल साह को बचपन से ही सताती थी, जिसे उन्होंने 58 साल की उम्र में पूरा करने का बीड़ा उठाया है। बकरी बेचकर अब तक जमा की गई ढाई लाख रुपये की कमाई उन्होंने स्कूल को खेल मैदान बनाने के लिए दान दे दी। इस राशि से खेल मैदान का निर्माण हो रहा है।
अपने बच्चों का जीवन बेहतर हो इसके लिए हर व्यक्ति दिन-रात मेहनत करता है। थोड़ी सा धन जमा हो जाए तो इससे लोग हल्द्वानी तथा अन्य शहरों में जमीन खरीदने और वहां घर बनाने का सपना देखते हैं, लेकिन करुली गांव के ईश्वरी लाल साह का सपना इन सब से जुदा है। उन्होंने इसी गांव के विद्यालय से कक्षा दो पास किया था। परिवार की गरीबी के चलते आगे की पढ़ाई नहीं कर पाए। युवा होते-होते वह पहाड़ के अन्य नौजवान की तरह महानगरों की ओर चले गए। दिल्ली, मुंबई, पंजाब, हरियाणा, चंड़ीगढ़ समेत करीब डेढ़ दर्जन शहरों में रहे। इसी बीच उनके माता-पिता बूढ़े होने लगे। अपने मां-बाप की देखभाल के लिए वे 15 साल पहले फिर गांव लौट आए। यहां खेती-बाड़ी के साथ बकरी, भैंस तथा गाय पालन में लग गए, लेकिन गांव के राजूहा में खेल मैदान नहीं होने की पीड़ा उन्हें अंदर ही अंदर सालती रही। बेटी भी इसी विद्यालय में कक्षा सात में पढ़ती है।
स्कूली बच्चों का कल बेहतर बनाने के लिए बकरियां बेचकर रुपये दान करने वाले करुली के ईश्वरी लाल साह बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल के लिए करीब 15 साल पहले गांव लौट आए थे। वे बकरियां चराते हैं और पेट की मजबूरी है तो मजदूरी भी करते हैं।
बकरी चराते हुए वे अक्सर जूनियर हाईस्कूल करुली की तरफ भी चले जाते हैं। उन्होंने देखा कि बच्चे ऊबड़-खाबड़ जगह पर खेल रहे हैं। और, इस स्कूल में चहारदीवारी नहीं है तो कभी-कभार जानवर स्कूल की सीमा में गंदगी कर देते हैं। मन में सोचा कि स्कूल का भला कैसे हो। फिर तय किया कि वे खेल मैदान के लिए बकरियां बेेचेंगे। उनकी बिटिया इसी स्कूल की 7वीं की छात्रा है। ईश्वरी कहते हैं कि बच्चों को खेलते देख उन्हें बचपन के दिन याद आने लगते हैं। स्कूल के दिनों में उन्हें दुनिया का कुछ अता-पता नहीं था, पर आजकल बच्चे सब जानते हैं। इन्हें सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए। अपने दान को वह बहुत छोटा मानते हुए कहते हैं कि उनसे जितना बन पड़ा, उन्होंने उतना किया। उनके दान से खेल मैदान और चहारदीवारी का निर्माण होगा।
उम्मीद है कि और लोग भी नेकी के लिए आगे आएंगे।
बागेश्वर के मुख्य शिक्षा अधिकारी जीएस सौन ने कहा कि ईश्वरी लाल साह ने सराहनीय कार्य किया है। इससे पहले एक पुरातन छात्र ने भी अमस्यारी विद्यालय के विकास कार्य के लिए मदद की थी। उम्मीद है भविष्य में अन्य लोग भी ऐसे ही नेक कार्य के लिए आगे आएंगे।
प्रधानाध्यापक नरेंद्र गिरी गोस्वामी ने कहा कि विद्यार्थियों के सुलेखन के दम पर हमारा स्कूल पहले से ही चर्चा में है। अब 58 साल के ईश्वरी लाल साह की यह मदद शायद इस स्कूल को एक दानवीर की नजीर के रूप में देखे। स्कूल में चल रहे विकास कार्यों को पूरा करने की जिम्मेदारी ईश्वरी लाल साह को ही दी है, ताकि राशि का सदुपयोग हो सके।

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