देहरादून। छात्रवृत्ति घोटाले में समाज कल्याण विभाग के संयुक्त निदेशक और उप निदेशक समेत 101 सरकारी अधिकारियों के खिलाफ एसआईटी ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। 11 अधिकारियों के खिलाफ अभी विवेचना चल रही है जबकि 12 अन्य के खिलाफ विवेचना और मुकदमे के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है। एसआईटी ने भ्रष्टाचार अधिनियम, धोखाधड़ी और सरकारी पैसे के गबन के आरोप में चार्जशीट दाखिल की है।
सितंबर 2017 में प्रदेश में करोड़ों रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा हुआ था। सैकड़ों शिक्षण संस्थानों ने समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत कर एससी-एसटी वर्ग के छात्रों का फर्जी तरीके से दाखिला दर्शाया था। उनके नाम से शिक्षण संस्थानों को छात्रवृत्ति भेजी गई। इसके बाद अधिकारियों और शिक्षण संस्थानों के मालिकों ने इस छात्रवृत्ति के सैकड़ाें करोड़ रुपये की आपस में बंदरबांट कर ली। प्रकरण की जांच के लिए वर्ष 2019 में आईपीएस मंजूनाथ टीसी के नेतृत्व में हरिद्वार में एक एसआईटी का गठन किया गया।
जांच के दौरान एसआईटी ने एक के बाद एक हरिद्वार और देहरादून में कुल 83 मुकदमे दर्ज किए गए। इसके बाद शुरू हुआ गिरफ्तारियों का दौर। शिक्षण संस्थानों के मालिकों और सरकारी अधिकारियों को सलाखों के पीछे भेजा गया। जांच में समाज कल्याण विभाग के 124 अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम सामने आए। एसआईटी ने 112 अधिकारियों को नामजद किया था। एसआईटी से मिली जानकारी के अनुसार, इन मुकदमों की विवेचना लगभग पूरी हो चुकी है।
इन अधिकारियों और कर्मचारियों में से 101 के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है। एसआईटी ने भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13, आईपीसी-420 यानी धोखाधड़ी और सरकारी पैसे का गबन यानी आईपीसी-409 के तहत चार्जशीट स्पेशल जज भ्रष्टाचार अधिनियम की कोर्ट में भेजी है।
एसआईटी ने 51 मुकदमे हरिद्वार और 32 मुकदमे देहरादून में दर्ज किए थे। इनमें कुल 135 शिक्षण संस्थानों के 161 मालिकों और प्रबंधकों के नाम सामने आए थे। शिक्षण संस्थानों में 78 देहरादून के और 57 हरिद्वार के शामिल हैं। एसआईटी ने इन शिक्षण संस्थानों के इन 161 मालिकों और प्रबंधकों के खिलाफ भी विभिन्न न्यायालयों में चार्जशीट दाखिल कर दी है। इनके खिलाफ धोखाधड़ी के साथ-साथ जालसाजी की धाराएं भी लगाई गई हैं।