हरिशंकर सैनी
हरिद्वार अंतिम शाही स्नान अप्रैल 27, 2021 चैत्र पूर्णिमा की व्यवस्थाओं के सम्बंध में आईजी कुम्भ द्वारा कुम्भ मेला पुलिस एवं मेला अधिष्ठान के राजपत्रित अधिकारीगण की ऑनलाइन ब्रीफिंग की गई।
इस ऑनलाइन ब्रीफिंग के दौरान आईजी कुम्भ के द्वारा सर्वप्रथम अंतिम शाही स्नान के सम्बंध में सभी अखाडों के पदाधिकारियों से हुई वार्ता के प्रमुख बिंदुओं के बारे में बताया गया। आईजी कुम्भ के द्वारा बताया गया कि सभी अखाड़ों के पदाधिकारियों के द्वारा अंतिम शाही स्नान को कोरोना के बढ़ते हुए संक्रमण को ध्यान में रखते हुए सीमित रूप में करने की सहर्ष सहमति प्रदान की गई है।
अखाड़ो के द्वारा अपने शाही स्नान के दौरान 50 से 100 साधु-संतों को ही सम्मिलित किया जाएगा। वाहनों की संख्या भी बेहद सीमित रहेगी। इसके अलावा सभी अखाड़ो के द्वारा अपने शाही जुलूस में गृहस्थों को शामिल नही किये जाने का आश्वासन भी दिया गया है।
शाही स्नान के दौरान अखाड़ो के साधु-संतों के द्वारा मास्क, सोशल डिस्टनसिंग, सेनिटाइजेसन और कोविड SOP का पूरा पालन किया जाएगा।
आईजी कुम्भ के द्वारा ब्रीफ किया गया कि कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत शाही स्नान के दौरान सन्तों एवम आम श्रद्धालुओं की सीमित संख्या को ध्यान में रखते हुए सभी व्यवस्था की जानी है। किसी भी प्रकार का यातायात डाइवर्जन लागू नही किया जाएगा। सिर्फ शाही स्नान जुलूस के समय रास्ते मे पड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग से कुछ समय के लिए यातायात डायवर्ट किया जाएगा। हर की पैड़ी को भी सुबह 07:00 बजे के बजाए थोड़ा और विलम्ब से आम श्रद्धालुओं के लिए प्रतिबंधित किया जाएगा। आम श्रद्धालुओं को हर की पैड़ी के अतिरिक्त अपर रोड एवं अन्य बाजारों में आने जाने की पूरी छूट रहेगी।
हर की पैड़ी की निकटवर्ती सभी पार्किंगों जैसे: धोबी घाट, पन्तदीप, चमगादड़ टापू आदि को संचालित किया जाएगा। ड्यूटीरत सभी अधिकारी-कर्मचारी कोविड से बचाव के लिए मास्क और फेस शील्ड पहने रहेगें और सभी सुरक्षा उपायों को अपनाएंगे। शाही स्नान के लिए सभी अखाड़ो द्वारा अप्रैल 14, 2021 बैशाखी स्नान पर्व की समय सारणी के अनुसार ही स्नान का क्रम, समयावधि और मार्ग का पालन किया जाएगा।
आईजी कुम्भ के द्वारा ऑनलाइन मीटिंग में सम्मिलित सभी मजिस्ट्रेटों को अलग से सम्बोधित करते हुए कहा गया कि आपके द्वारा अभी तक बेहतरीन तरीके से अपने कर्तव्यों को अंजाम दिया गया है, इसलिए अब कुम्भ 2021 के अंतिम शाही स्नान को सफल बनाने के लिए भी जी जान से जुट जाएं और पूर्ण निष्ठा, मेहनत और समर्पण से इस कुम्भ को सफल बनायें।