उत्तराखंड में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण पर हाईकोर्ट गंभीर, कहा-अपने लोगों की जान बचाना सरकार का नैतिक व संवैधानिक दायित्व

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नैनीताल। उत्तराखंड राज्य में बढ़ते कोरोना संक्रमण के मामलों पर नैनीताल हाईकोर्ट ने चिंता जताते हुए कई अहम बिन्दुओ पर आदेश पारित किए हैं। सात मई को स्वास्थ्य सचिव से आदेशों के अनुपालन में की गई कार्यवाही के संदर्भ में विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करने को कहा है।
अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली की तरफ से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुऐ कोर्ट ने दर्जनभर से अधिक बिन्दुओ पर आदेश पारित कर कहा कि स्वास्थ्य महानिदेशक लोगों को जारी सरकारी स्वाथ्य कार्डो का भरपूर लाभ दिलाये साथ ही जिन सरकारी व प्राइवेट अस्पतालों में टेस्टिंग सुविधा है उनको टेस्टिंग बढ़ाने के लिये कहें इसके अलावा हल्द्वानी,देहरादून व नैनीताल में टेस्टिंग को बढ़ाया जाए। 30 से 50 हजार लोगों की रोजाना टेस्टिंग हो कोर्ट ने कहा कि होम कलेक्शन वाले टेस्टों को भी बढ़ाया जाये।
न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कहा है कि हल्द्वानी के सुशीला तिवारी अस्पताल में उपनल व अन्य स्टाफ जो कोविड़ ड्यूटी में लगा है और जिनको ड्यूटी के बाद शाम को घर भेजा जा रहा है। उनको सुरक्षा की दृष्टि से अस्पताल या आसपास रुकवाने की व्यवस्था की जाए। जिससे कि उक्त कर्मियों के परिजन प्रभावित ना हों। इसके अलावा कोर्ट ने प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त करने के साथ राज्य के सभी जिलाधिकारियों से कहा है कि वो अपने अपने जिले में हेल्प लाइन नम्बर बनाये और उसको सार्वजनिक करें जिससे कि प्रोपर मॉनिटरिंग हो सकें।
कोर्ट ने शवदाह के दौरान आ रही दिक्कतों पर भी कड़ा संज्ञान लेते हुवे सरकार को कहा है कि वह अस्थाई शवदाह स्थल बनायें और वहाँ पर पर्याप्त मात्रा में लकड़ी की उपलब्धता करायें। इतना ही नही सरकार द्वारा कोर्ट में कर्मचारियों की कमी का हवाला देने पर कोर्ट ने सरकार को कहा कि राज्य में करीब 2500 से अधिक डेंटल सर्जन है उनको भी कोविड़ ड्यूटी पर लगाया जाए। जिससे कि आम जन को मदद मिल सकें।
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार का संवैधानिक व नैतिक दायित्व है कि वो अपने लोगों की जान बचाये लिहाजा कोर्ट ने तमाम बिन्दुओ पर पारित आदेशों के अनुपालन में की गई कार्यवाही के संदर्भ में आगामी 7 मई को स्वास्थ्य सचिव से विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश करने को कहा है।

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