रुद्रपुर। बाघ की खाल मामले में एसटीएफ और तराई पूर्वी वन प्रभाग की टीम ने हरिद्वार से गुर्जर को उठाकर सात घंटे तक गहन पूछताछ की। बाघ के शिकार और तस्करी मामले में उसकी लिप्तता की पुष्टि नहीं हो सकी। इसके बाद टीम ने गुर्जर को परिजनों के सुपुर्द कर दिया। गुर्जर पिछले साल बाघ की खाल की तस्करी मामले में जेल जा चुका है। अर्जुन उर्फ कौआ ने पूछताछ में उसका नाम लिया था।
एसटीएफ और वन विभाग की टीम ने बाघ को मारकर खाल और अंगों की तस्करी मामले में मुख्य शिकारी अर्जुन उर्फ कौआ सहित पांच तस्करों को जेल भेजा था। अर्जुन ने नजीबाबाद वन प्रभाग के बढ़ापुर रेंज के जंगल में जहर देकर बाघ मारने की बात कबूली थी। अर्जुन ने तीन साल में तीन बाघ मारने की बात स्वीकारी थी। उसने हरिद्वार के एक गुर्जर सहित कुछ लोगों के उपनाम भी बताए थे। इसके आधार पर एसटीएफ और वन विभाग की संयुक्त टीम ने हरिद्वार में दबिश देकर एक गुर्जर को उसके घर से हिरासत में लिया था और उसे खटीमा लाकर इस मामले में गहनता से पूछताछ की। इस दौरान उससे अर्जुन उर्फ कौआ से संबंध, तस्करी में लिप्तता सहित कई सवाल पूछे गए। एसटीएफ और वन विभाग ने गुर्जर से अलग-अलग पूछताछ की लेकिन इस मामले में उसकी लिप्तता उजागर नहीं हो सकी। वर्ष 2022 में गुर्जर बाघ की खाल तस्करी मामले में जेल गया था और दो महीने जेल में रहने के बाद उसे जमानत मिली थी।
तराई पूर्वी वन प्रभाग के अधिकारियों ने बताया कि गुर्जर को पूछताछ के बाद उसके परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया है। गुर्जर से कहा गया है कि जरूरत पड़ेगी पर उसे पूछताछ के लिए हाजिर होना होगा। बताया कि इस मामले में अभी कईं और संदिग्धों से पूछताछ की जाएगी।