जीवन रक्षक उपकरण और प्लाज़्मा दान हेतु आगे आयें-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

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विश्व रेड क्रॉस दिवस

जीवन रक्षक उपकरणों और दवाईयों का निष्पक्षता के साथ उपयोग हो

जीवन रक्षक उपकरण और प्लाज़्मा दान हेतु आगे आयें-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

हरिशंकर सैनी
ऋषिकेश। आज विश्व रेड क्राॅस दिवस के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी का आह्वान करते हुये कहा कि कोरोना के इस संकटकाल में जब भारत सहित पूरा विश्व एक-एक सांस के लिये लगातार संधर्ष कर रहा है ऐसे में हमारा प्रयास होना चाहिये कि अधिक से अधिक जिंदगियाँ बचाने हेतु आगे आयें और सहयोग प्रदान करें। अगर किसी के पास ऑक्सीजन सिलेंण्डर, आक्सीमीटर, इनहेलर, नेबुलाइजर, आक्सीजन कंसन्ट्रेटर जो भी लाइफ सेविंग उपकरण है और यदि आप इनका दान कर सकते हैं या उसे उधार दे सकते हैं तो उसके लिये जरूर आगे आयें। साथ ही जो लोग कोविड पाॅजिटिव हुये और वे स्वस्थ होकर लौट आये हैं, वे अपना प्लाज़्मा दान करने हेतु आगे आयें। अगर हमारे प्रयासों से एक भी जिदंगी बच गयी तो यही हमारे जीवन की सार्थकता होगी।          कृपया संकट के इस दौर में दौर में कोई भी ब्लेक मार्केटिंग न करें और अपने समाज को बचायें इस समय यही सबसे बड़़ी पूजा है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आज मानवता को बचाये रखने के लिये सेवा भावना, एकता, करूणा और निष्पक्षता की नितांत आवश्यकता है। इस समय पूरे विश्व में चारों ओर पीड़ा, भय और संकट का माहौल है, ऐसे में सभी के जीवन, स्वास्थ्य और सम्मान की रक्षा के लिए आपसी मदद, समझ, मित्रता और सहयोग को बढ़ावा देना होगा।

इस कोरोना के दौर में जो भी जीवन रक्षक उपकरण हैं उनका निष्पक्षता के साथ सभी के लिये उपयोग किया जाना बहुत जरूरी है। इस समय कोरोना वायरस के लड़ने के लिये ‘ग्लोबल सोलिडारिटी’ आवश्यक है। स्वामी जी ने कहा कि रेड क्रास सोसायटी सार्वभौमिक समुदाय की सुरक्षा के लिए वर्षों से अद्भुत कार्य कर रही है। इसके उद्देश्य, प्रकृति और कार्य करने की पारदर्शिता बेमिसाल है।
स्वामी जी ने कहा कि संकट के इस काल में कई संस्थायें अपनी सेवायें दे रही हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अद्भुत सेवा और निष्ठा आपने आप में एक मिसाल है। सभी अधिकारियों, कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों को साधुवाद देते हुये कहा कि जरूरतमंदों की मदद हेतु जो यह सेवा अभियान चलाया जा रहा है वह हमेशा चलता रहे तथा सभी मिलकर आगे बढ़ते रहें।
रेड क्रास की शुरूआत युद्ध भूमि पर जख्मी और पीडितों को सहायता प्रदान करने के लिये वर्ष 1863 में हेनरी ड्यूनैंट ने जिनेवा में की थी। जिसका मुख्य उद्देश्य युद्ध या विपदा के समय में उत्पन्न समस्याओं से राहत दिलाना है। रेड क्रॉस ने मानवता, निष्पक्षता, तटस्थता, स्वतंत्रता, स्वयं प्रेरित सेवा, एकता एवं सार्वभौमिकता के सिद्धांतों को आत्मसात किया है। इस वर्ष रेड क्राॅस दिवस की थीम ‘हम साथ-साथ हैं – अजेय’  रखी गयी है।

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