भाकपा माले ने राज्य में लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार नीति की मांग, घरों में दिया धरना

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हल्द्वानी। भाकपा (माले) द्वारा विभिन्न जनसंगठनों और विपक्षी राजनीतिक पार्टियों के आह्वान के समर्थन में पार्टी कार्यालय और कार्यकर्ताओं द्वारा अपने अपने घर पर धरना देते हुए “ठप्प मजदूरी, बंद रोजगार, कामगारों , मज़दूरों, बेरोजगारों की जिम्मेदारी लो सरकार!” की मांग को लेकर सरकार से अपनी जिम्मेदारी तय करने और मजदूरों कामगारों बेरोजगारों को राहत देने की मांग की गई।
भाकपा (माले) जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि,
“उत्तराखंड राज्य में कोरोना महामारी के कारण एक गंभीर स्थिति बन गयी है। काम बंद होने के कारण लाखों दिहाड़ी मज़दूर बेरोज़गार है और दूसरी तरफ एक लाख से ज्यादा उत्तराखंडी युवाओं को राज्य में मजबूरी में वापस लौटना पड़ा है। कोई भी आज कमा नहीं पा रहे हैं। लेकिन लोगों को राहत देने के बजाय सरकार अपना राजस्व वसूलने में लगी है। पानी और बिजली के बिलों पर राहत देने के बजाय बिजली के दाम बढ़ा दिए हैं। शायद यही प्रधानमंत्री का आपदा में अवसर वाले सूत्र का अर्थ है। यह बहुत शर्मनाक है कि जब जनता त्राहि त्राहि कर रही है तब सरकार जिम्मेदारी लेने के बजाय जनता पर महंगाई थोप रही है और मजदूर कामगार बेरोजगारों को भुखमरी के संकट की ओर धकेल दिया गया है।
मांग की गई कि पानी और बिजली बिलों को पूरी तरह से माफ़ किया जाए। प्रवासी मज़दूरों के लिए निशुल्क राशन की व्यवस्था की जाए। मनरेगा के अंतर्गत काम के दिनों को 200 दिन तक बढ़ाया जाए। शहरों और पहाड़ों में दिहाड़ी मज़दूर और लौटे हुए उत्तराखंडियों के लिए तुरंत रोज़गार योजना बनाया जाए। राज्य में हर मज़दूर या गरीब परिवार को न्यूनतम 6000 रुपये प्रतिमाह सहायता दी जाए।
कोरोना गाइडलाइंस का पालन करते हुए आज के धरने में विभिन्न स्थानों पर डॉ कैलाश पाण्डेय, ललित मटियाली, विमला रौथाण, किशन बघरी, नैन सिंह कोरंगा, ललित जोशी, राजेन्द्र शाह,हरीश चंद्र सिंह भंडारी,आनंद सिंह दानू, पार्वती कोरंगा,निर्मला शाही,उमेश चंद्र, मुन्नी रावत
आदि शामिल रहे।

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