देहरादून। संस्कृत विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. मोहन चंद्र बलोदी की सेवा समाप्ति से जुडे मामले में लापरवाही पर सरकार ने राजभवन से विश्वविद्यालय के कुलपति दिनेश चंद्र शास्त्रत्त्ी और रजिस्ट्रार गिरीश कुमार अवस्थी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। संस्कृत शिक्षा सचिव चंद्रेश कुमार ने राज्य सरकार पर आए आर्थिक व्यय भार की रिकवरी की संस्तुति की है।
हाईकोर्ट के चार बार अवसर देने के बावजूद विवि प्रशासन ने इस मामले में काउंटर शपथ पत्र तक दाखिल नहीं किया। इससे डॉ. बलोदी की सेवा समाप्ति के आदेश पर स्टे कर दिया गया और एक जून 2022 से वेतन भुगतान के आदेश भी दे दिए गए हैं। राज्यपाल के सचिव रविनाथ रामन को भेजे पत्र में संस्कृत शिक्षा सचिव ने हाइकोर्ट की टिप्पणियों का भी उल्लेख किया है। सचिव ने कहा कि समय पर काउंटर दाखिल न करने के कारण हाईकोर्ट में विभाग का पक्ष नहीं रखा जा सका।
आदेशों की अवहेलना के जिम्मेदार वीसी और व अन्य सभी दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। राज्य सरकार पर अतिरिक्त पड़ने वाले व्यय भार की क्षतिपूर्ति के लिए संबंधित लोगों की जिम्मेदारी तय की जाए। सूत्रों के अनुसार प्रो. बलोदी के वेतन भुगतान और कोर्ट केस के खर्च के रूप में 50 लाख रुपये से ज्यादा का आर्थिक बोझ सरकार पर आ रहा है। दूसरी तरफ, इस मामले में जब रजिस्ट्रार गिरीश कुमार अवस्थी से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया तो उन्होंने प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया।