हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया, कहा-कोविड टेस्ट की घटती संख्या लोगों को को धोखे में रखने जैसा

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नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने क्वारंटीन सेंटरों की बदहाल व्यवस्थाओं को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान एक बार फिर प्रदेश सरकार को आड़े हाथों लिया। अदालत ने कहा कि कोविड टेस्ट की लगातार घटती संख्या बताती है कि राज्य सरकार खुद को और लोगों को धोखे में रख रही है। सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे वीडियो से लग रहा है कि कपटोद्घाटन के दौरान चारधाम में पुजारियों की भीड़ थी और एसओपी का पालन नहीं हो रहा है।
कोर्ट ने पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर से कहा कि कौटिल्य के अर्थशास्त्र में जिक्र है कि गद्दी पर बैठे-बैठे राजा को प्रजा का दुख पता नहीं चलता, इसके लिए मौके पर जाना पड़ता है। मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है।
याचिकाकर्ता की ओर से उच्च न्यायालय को अवगत कराया गया कि राज्य सरकार ने चारधाम यात्रा के लिए एसओपी जारी की है वह सुप्रीम कोर्ट के 30 अप्रैल 2021 के आदेश का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया था कि कोविड के दौरान किसी भी तरह की राजनीतिक और धार्मिक गतिविधियां नहीं होंगी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के लिए 551 ऑक्सीजन प्लांट लगाने की मंजूरी दी है। प्रधानमंत्री राहत कोष से यह कार्य होना है। इस संबंध में याचिकाकर्ता ने कोर्ट से आग्रह किया है कि उत्तराखंड में जितने ऑक्सीजन प्लांट लगने की मंजूरी मिली है, उसके लिए केंद्र को निर्देश दिए जाए। मुख्य सचिव ने कोर्ट को बताया गया कि उन्होंने केंद्र को इस संदर्भ में पत्र लिखा था, उसका 10 दिन बाद भी जवाब नहीं आया है। इस पर कोर्ट ने केंद्र से उत्तराखंड की मांग को गंभीरता से लेने अथवा अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की चेतावनी दी।

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