देहरादून। उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए चले आंदोलन से जुड़ी कई यादें आज भी मेरी स्मृतियों में विद्यमान हैं। मुझे याद है जब हम टिहरी जेल में बंद थे। सबसे आखिर में मेरी जमानत हुई थी। मेरे बाद एक और साथी थे, जिनकी जमानत नहीं हो पाई थी। वे मायूस थे। उनकी मायूसी मुझसे नहीं देखी जा रही थी। मैंने जिद पकड़ ली कि जब तक साथी की जमानत नहीं होगी, मैं भी जेल से नहीं जाऊंगा।
तब वहां एक एसडीएम स्तर के अधिकारी थे। उन्होंने मुझे समझाने की कोशिश की। मैं नहीं माना। वे हम दोनों को अपने आवास पर ले गए। हम आशंकित थे कि कहीं रात को पुलिस हमारी पिटाई न कर दे। लेकिन हमारी आशंकाएं तब दूर हो गईं जब उन्होंने हमें भोजन कराया और सोने के लिए कमरा दिया। मैं तो हैरान रह गया जब उन्होंने हमसे कहा, मैं भी राम भक्त हूं, लेकिन अपने दायित्व से बंधा हूं।
डोईवाला में हमारा परिवार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ा रहा है। पिता जी क्षेत्र में संघ की गतिविधियों को लेकर काफी सक्रिय थे। हम भी उनके साथ जुड़े थे। मेरी आयु तब 25 वर्ष की रही होगी। मेरा विवाह हो गया था। उस समय अयोध्या से राम शिलाएं आई थीं। राम शिला पूजन के कार्यक्रम का जिम्मा मुझ पर था। उस वक्त क्षेत्र के तकरीबन सभी इलाके कांग्रेस बहुल माने जाते थे।