इंफ्रा पर जोर पर टैक्स पेपर्स को बड़ी राहत नहीं: सरोज आनंद जोशी (सी ए)

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*बजट पर प्रतिक्रिया*
हल्द्वानी। हर बजट की तरह ही इस बजट में भी सरकार ने सबसे अधिक जोर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर दिया है हालांकि इस मद में कितना खर्च करेंगे ये बात बजट 2022 में ही साफ हो गया था कि 2047 यानि अगले 25 साल की नीति की बात की गई थी, इस बजट भाषण में भी वंदे भारत , मेट्रो रेल, सड़क विस्तार आदि वक्तव्य शामिल रहे , और इसके लिए जीएसटी का रिकार्ड संकलन एवं पेट्रोलियम पदार्थों से लाभ का अधिकांश भाग सरकार इन्फ्रास्ट्रक्चर में खर्च करती रही है,

इनकम टैक्स पेयर्स को बड़ी राहत नहीं मिली जैसा मध्य वर्ग को उम्मीद थी, टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं है, पर कुछ पुरानी 25000/- तक कर-मांग जो 2009-10 तक लंबित थी और वित्तीय वर्ष 2010 से वित्तीय वर्ष 2014-15 तक की 10000/- कर मांग (डिमांड) को वापस ले लिया लाएगा

हमारी आबादी के मामले में हम दुनिया की सबसे बड़ी आबादी में शुमार हो चुके हैं, लगता है सरकार भी इस पर चिंतित है और जनसंख्या बिल की मांग लंबे समय से उठाई जा रही थी , इस बजट में सरकार ने भी इस जनसंख्या विस्फोट पर नीति बनाने की बात कही है

कहाँ ध्यान दिए जाने की जरूरत है :

देश और खासकर हमारे उत्तराखंड के लोगों को सरकार की सौर ऊर्जा परियोजनाओ पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है सरकार वर्तमान में भी सोलर प्लांट पर खासी सब्सिडी प्रदान कर रही है, आगे और विस्तार कर सकती है , सौर ऊर्जा प्रणाली पर सरकार का जोर इस बजट भाषण में भी सुनाई दिया जिसमें कहा गया कि छत पर सौर प्रणाली लगाने से एक करोड़ परिवार प्रत्येक महीने 300 यूनिट तक निःशुल्क बिजली प्राप्त कर सकेंगे। वैसे भी वैश्विक पटल पर बड़ी बिजली परियोजनाओ को प्राकृतिक संतुलन के मध्य नजर हतोत्साहित किया जा रहा है उसके स्थान पर छोटी पनबिजली परियोजना और सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित किया जा रहा है , विनिर्माण के क्षेत्र जुड़े उधमियों को ‘इलेक्ट्रिक वाहन’ के क्षेत्र में संभावनाओ की तलाश करनी चाहिए इस बजट में भी इसका जिक्र है,

सरकार के हर बजट में किसानों की आय दुगुनी करने के लक्ष्य की बात को हर बजट में दोहराया गया पर इस बार के बजट में किसानों की आय की चर्चा नहीं हुई

गरीबी रेखा के नीचे रह रहे 80 करोड़ आबादी को मुफ़्त राशन की बात को बजट मे दोहराया गया, पर लंबे समय से हम घाटे के बजट को ही देख रहे हैं, जीएसटी की वसूली मे लगातार बढ़ौतरी हो रही हैं , जनवरी में रिकार्ड 1.72 लाख करोड़ रहा है जो एक साल मे 10% बढ़ा है इस लिहाज से उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य मे बजट घाटे में कमी आएगी , इस बार के बजट में राजकोषीय घाटे को 26% से नीचे लाने की बात कही गई है

हालांकि ये बजट अन्तरिम यानि नई सरकार बन जाने तक का आय व्यय का लेखाजोखा है पर इस बजट में सरकार की आगे की नीतियों की झलक देखी जा सकती है

सरोज आनंद जोशी (सी ए)

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