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श्रेष्ठ व तीव्र गति से जैविक खाद बनाने के लिए निम्न विधि का उपयोग कीजिए: सुकर्मपाल सिंह
श्रेष्ठ व तीव्र गति से जैविक खाद बनाने के लिए निम्न विधि का उपयोग कीजिए।
. . ऐसा वही सज्जन कर सकेंगे, जो दुधारू पशुओं को पाल रहे हैंl. .
कृपया पशुशाला के निकट एक गड्ढा अपनी आवश्यकतानुसार खुदवा लीजिए या फिर खोद लीजिए। कम स्थान होने पर गहराई अधिक रखिए। गड्ढे की चारों दीवारों और तली को पॉलीथीन से ढक दीजिए, जिससे कि जल भूमि में न जा सके। इस प्रकार की व्यवस्था कीजिए कि पशुओं का मूत्र गड्ढे में बहकर आता रहे। अब प्रतिदिन गड्ढे में गोबर और मूत्र जब तक डालते रहिए जबतक भर न जाए। गड्ढे में घर पर सब्जी आदि का कूड़ा और अन्य पदार्थ खाद बन सकने योग्य भी डालते रहिए। गड्ढे में विशेष रूप से पीपल, नीम, धतूरा, आक आदि के पत्ते और बारीक टहनियां अवश्य डालने का प्रयास कीजिए।
गड्ढे के पदार्थों को प्रतिदिन एक डंडे से चलाना आवश्यक है। तभी सम्पूर्ण खाद एक सी मिल पाएगी। गड्ढे में जल की मात्रा भी पर्याप्त रखनी होगी, ताकि खाद तरल अवस्था में प्राप्त हो और चलाने में सरलता रहे।
. . वैसे तो लगभग सभी कृषक जैविक खाद का उपयोग करते हैं, लेकिन फिर भी इस खाद में और उसमें अन्तर यह है कि
. . १:- तरल,अधिक गली, और हल्की होने के कारण तुरन्त प्रभावी है।
. . २:- पीपल, नीम, आक और धतूरा को डालने से कीटनाशक की आवश्यकता को समाप्त कर देती है।
. . ३:- पशुओं का मूत्र यूरिया की आवश्यकता को समाप्त करता है।
. . ४:- मूत्र के उपयोग का एक लाभ यह भी होगा कि खाद बनने का समय कम हो जाएगा।
. . कृपया अपने परिचित अधिक से अधिक कृषकों को इस प्रकार से खाद बनाने के लिए प्रेरित कीजिए, जिससे कि आगामी खरीफ फसल में अधिक संख्या में कृषक बन्धू इसका उपयोग कर सकें। निश्चित रूप से परिणाम कृषकों की लागत को बहुत कम करने के साथ ही उत्तम गुणवत्ता की फसल मिलने से अधिक धन की प्राप्ति होगी। इसके परिणामों की सुगन्ध चारों ओर फैलने से बहुत अधिक संख्या में रबी की फसल में कृषक बन्धू इस प्रकार से कृषि करेंगे।
. . परिणाम स्वरूप भारत में पर्यावरण को सुधारने में सहायता मिलेगी।
. . भूमि का जलस्तर ऊपर उठेगा।
. . कृषि पदार्थों का निर्यात तीव्र गति से वढेगा। अर्थात आयात और निर्यात के अन्तर को कम किया जा सकेगा।
. . भारतीयों का स्वास्थ श्रेष्ठ होगा।
. . अधिक आय होने और स्वास्थ पर कम व्यय होने से कृषक बचत के धन का उपयोग अपने जीवन की अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति में व्यय कर सकेंगे।
. . जीवनोपयोगी पदार्थो की अधिक मांग बेरोजगारी को समाप्त करने में सहायक होगी।
. . पशुओं के मूत्र के उपयोग से यूरिया के आयात को समाप्त करने के साथ ही भारत में निर्माण को भी कम करेगी, परिणामस्वरूप बची हुई गैस का उपयोग और कहीं किया जा सकेगा।
. . क्योंकि यह खाद बनाने की विधि गोबर गैस प्लांट का ऐसा रूप है, जिसमें निर्मित गैस वातावरण में घुल जाती है। अतः इसके प्रयोग से अभिभूत होने पर इस प्रकार की खाद की मांग अधिक होने लगेगी और गोबर गैस प्लांटों का उद्योग भारत में बहुत तीव्रता से वढेगा। अर्थात खाद के साथ ही ज्वलनशील गैस का उत्पादन बहुत अधिक वढ जाने से पेट्रोलियम पदार्थों के उपयोग पर अंकुश से इसका आयात कम करने में सहायता मिलेगी।
(लेखक सुकर्मपाल सिंह भारतीय किसान संघ उत्तराखंड प्रांत संगठन मंत्री है )
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