दिल्ली। सीबीएसई 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द कर दिया गया है। यह फैसला पीएम मोदी की अध्यक्षता में मंगलवार शाम एक अहम बैठक में लिया गया। कोरोना महामारी के अनिश्चितता भरे माहौल और विभिन्न हितधारकों की राय लेने के बाद फैसला किया गया कि इस साल कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षाएं आयोजित नहीं की जाएंगी।
सीबीएसई अब 12वीं के छात्रों के रिजल्ट तैयार करने के लिए कदम उठाएगा। यह एक पारदर्शी, वैकल्पिक प्रक्रिया के जरिए एक समय-सीमा के भीतर होगा।
सरकार ने बताया कि पिछले साल की तरह, यदि कुछ छात्र परीक्षा देने की इच्छा रखते हैं, तो स्थिति अनुकूल होने पर सीबीएसई द्वारा उन्हें ऐसा विकल्प प्रदान किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “सरकार ने सीबीएसई कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला किया है। व्यापक विचार विमर्श के बाद हमने छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया है। इससे न सिर्फ छात्रों को सुरक्षा मिलेगी बल्कि उनका भविष्य भी उज्ज्वल रहेगा।”
उन्होंने कहा कि कोरोना ने अकेडमिक कैलेंडर को प्रभावित किया है और बोर्ड परीक्षाओं का मामला छात्रों, शिक्षकों और पैरेंट्स भारी चिंता पैदा कर रहा था जिसे खत्म किया जाना जरूरी था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी की स्थिति पूरे देश में एक अभूतपूर्व और व्यापक स्थिति है। हालांकि कोरोना के मामलों के नंबर लगातार कम हो रहे हैं। कुछ राज्य इसे प्रभावी ढंग से माइक्रो-कैंटेनमेंट हैंडल कर रहे हैं तो कुछ राज्य अभी भी लॉकडाउन का विकल्प ले रहे हैं। छात्र, शिक्षक और अभिभावक प्राकृतिक रूप से अपनी सेहत को लेकर चिंतित थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों पर ऐसी स्थिति में परीक्षाएं देने दबाव डालना नहीं होना चाहिए। सरकार के इस फैसले से सीबीएसई कक्षा 12 की परीक्षा देने जा रहे करीब 12 लाख और आईसीएससीई के 4 लाख छात्रों को बड़ी राहत मिलेगी। यानी इस साल 12वीं के करीब 16 लाख छात्र बिना परीक्षा दिए पास हो सकेंगे।
12वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द किए जाने पर खुशी जताते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे खुशी है कि 12वीं की परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं। हम अपने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर काफी चिंतित थे। यह बहुत बड़ी राहत है। वहीं, दिल्ली के डिप्टी सीएम और राष्ट्रीय राजधानी के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, ”हम फैसले का स्वागत करते हैं। यह फैसला छात्रों और टीचरों के हित में है। हमने भी यही मांग की थी। पहले की परफॉर्मेंस पर स्टूडेंट्स को मार्क्स मिलने चाहिए।’