नई दिल्ली। दिल्ली में केदारनाथ मंदिर के निर्माण को लेकर विवाद गहराने के बाद श्री केदारनाथ धाम दिल्ली ट्रस्ट ने ट्रस्ट और मंदिर का नाम बदलने का निर्णय लिया है। ट्रस्ट के संस्थापक और राष्ट्रीय अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला ने कहा कि कुछ लोगों की धाम शब्द को लेकर नाराजगी है। जिसे देखते हुए दोनों के नाम से धाम शब्द हटा दिया जाएगा। ट्रस्ट की ओर से इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
प्रेस क्लब में मीडिया से वार्ता में उन्होंने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ धाम नहीं बल्कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। उसके बाद भी कुछ लोग इस मुद्दे को तूल देने की कोशिश कर रहे हैं। उत्तराखंड में स्थित बाबा केदारनाथ करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र हैं और हमेशा रहेंगे, इसलिए लोगों की आस्था से खिलवाड़ का कोई सवाल ही नहीं उठता। हम केवल दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का निर्माण कर रहे हैं।
भगवान शिव का एक मंदिर बना रहे हैं और ये पहली बार नहीं है जब बाबा भोलेनाथ का किसी स्थान पर मंदिर बन रहा हो, लेकिन कुछ लोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए इसे केदारनाथ धाम से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। यह सिर्फ और सिर्फ एक मंदिर है।
रौतेला ने कहा, इस पूरे प्रकरण में कुछ लोगों ने यह विषय भी उठाया कि बाबा केदारनाथ का मंदिर एक ज्योतिर्लिंग है इसलिए उसकी कोई दूसरी प्रतिकृति नहीं हो सकती है, इस पर ट्रस्ट का कहना है कि हमारे जो 12 ज्योतिर्लिंग हैं उन सभी ज्योतिर्लिंग के नाम से देश में कई मंदिर बने हैं।
गुजरात में मुख्य सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है और दिल्ली में भी एक सोमनाथ मंदिर है। आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग है और बेंगलुरू में भी मल्लिकार्जुन मंदिर है। उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग है और महाराष्ट्र के नागपुर में भी इसी नाम से मंदिर है। बदरीनाथ उत्तराखंड के चार धामों में से एक है। जबकि मुंबई में भी इसी नाम से एक मंदिर बना हुआ है।
ट्रस्ट के अध्यक्ष सुरेंद्र रौतेला ने कहा, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ट्रस्ट के अनुरोध पर मंदिर के भूमि पूजन के लिए आए थे। उनका और सरकार का ट्रस्ट से कोई लेना देना नहीं है। केदारनाथ धाम के मसले पर कुछ सोशल मीडिया में चल रहे वीडियो के बारे में उन्होंने कहा, ट्रस्ट ने इस तरह की कोई बयानबाजी नहीं की।